भारतीय राजनैतिक चिन्तन में नीलकण्ठ भट्ट के राजनैतिक विचारों का अध्ययन | Bharatiy Rajanaitik Chintan Men Neelakanth Bhatt Ke Rajanaitik Vicharon Ka Adhyayan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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| धि वि द्वितीय अध्याय नीलकण्ठ के राज्य, राजा, एव सयज्याभिषेक सबधी विचार राज्य के सप्ताग प्राचीन भारत की राजनीतिक परम्परा के अनुसार मयूखाकार नीलकण्ठ भट्ट ने भी सप्तात्मक अथवा सप्ताम राज्य की कल्पना की है। उनका मत है कि राज्य के सात अंग होते हैं। इन्हीं আলী अंगो के संयोग से राज्य का निर्माण होता है। नीलकण्ठ भट्ट के मतानुसार राज्य के सात अंग “स्वामी, अमात्य, मित्र, कोश, राष्ट्र, दुर्ग और सेना है।' इस प्रकार नीलकण्ठ भट्ट ने मनु. कौटिल्य, भीष्म, शुक, कामन्दक एवं चण्डेश्वर के समान ही राज्य का सप्तात्मक अथवा सप्तांग स्वरूप माना जाता है। मनु के राज्य के सात अंग -” स्वामी, अमात्य, पुर. राष्ट्र. कोश, दण्ड ओर सुहूद वताए हे शान्तिपर्व म भीष्म ने सप्तांगोँ को “ आत्मा (राजा), अमात्य, कोश, दण्ड, मित्र, जनपद ओर पुर के नाम से संबोधित किया है।” आचार्य चार्य कौटिल्य ने सप्तांगों के अन्तर्गत “स्वामी, अमात्य, जनपद दुर्ग कोश, दण्ड और मित्र... ४ कामाना हे“ आचार्य शुक के मतानुसार राज्य के सात अंग- स्वामी, अमात्य, सुहृद, कोश, राष्ट, दुर्ग ओर 1. नीति मयूख : पृष्ठ 42 বত সচিন ৯ ০৪ के आय पी . मनु : मानव धर्मशास्त्र - अध्याय 9 श्लोक 294 = | | . शान्तिपर्व : श्लोक : 64.65, 69 ` ५.५ 8०० अर्थशास्त्र: बॉर्ता । अध्योय:) जबि: 80 7 5005 হি উই তত এ ০5 উন ১ ই . शुकनीति : अध्याय 1, श्लोक 61 ` | ४ এ ध । ০১. ৯ छा >




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