लेखनी की ओर | Lekhni Ki Or

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Lekhni Ki Aur by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१३ दिया है वह भी विचारणीय अवश्य है, किन्तु श्रपोन्रो ११ के प्रन्तरिक्ष यात्री जिम चन्द्र तन पर उतरे हैं उसके तापमान्‌ का विवरणा देखते हुये चन्द्रतल का अधिकतम शीतमान्‌ मालुम नही होता। “जिस प्रकार सूर्य के धरातन पर प्रति वर्ग इञ्च से ४५ प्रश्वबर (48 प. ) की शक्ति निकलती है उसी प्रकार चन्द्रतल से प्रति वर्गइजचत कितने श्रङ्वबल की शीत शक्ति तिकनती है, इसका विवरण जानने पर किसी निर्ंय पर पहुचा जा सकता है। चन्द्रलोक की लम्बाई, चोड़ाई और परिधि वैज्ञानिकों ने चन्द्रलोक का व्यास लगभग २१६० मील मानता है प्रौर + ५६ जनागमो मे चन्द्रलोक की लम्ब)ई-चौडा त योजन ` , मोटाई द योजन - ग्रौर लम्बाई-चौडाई से परिधि तिएुनी माती गईं है। श्र्थात्‌ चन्द्रलोक की लम्बाई चौडाई ३६७२ कोस, मोटाई १८३६ कोस ओर परिधि लगभग ११०१६ कोस को है । यह सामान्य श्रन्तर प्राचीन और अर्वाचोन माप प्रणाली का है जिसका समीकररा सम्भव है। चन्द्र यात्रा का निमन्त्रण एक चुनोती है-- प्रन्तरिक्ष यात्री मादकन कालिन्स ने अमेरिकी दूतावास লী संवाद- दाताझो को बताया कि मेरे विचार से अगलो बार की अन्तरिक्ष उड़ान में एक कवि, एक पादरी (एक धर्मोपदेशक साधु) और एक दांशंनिक को और शामिल करना चाहिये क्योकि ऐसा करने से जो कुछ हमने देखा है उसकी अनुभूति को ग्रभिव्यक्ति अच्छी प्रकार से हो सकेगी । “হুলিক্ষ हिन्दुस्तान १-- जैनागमो मे शाइवत वस्तुओ का माप ४००० कोस का एक योजन লাল कर किय ग्या हे ।




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