आदर्श बालकों की अमर कथाएँ | Adarsh Balakon Ki Amar Kathayen

Adarsh Balakon Ki Amar Kathayen by राजकुमार अनिल - Rajkumar Anil

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ध्व््य भ््क स्वयंभुव मनु ब्रह्मा के अंश से उत्पन्न होकर नर- सृष्टि के जनक हैं । उनकी पत्नी का नाम था शतरूपा देवी । उनके दो पुत्र हुये प्रियब्रत एवं उत्तानपाद । ये भगवान वासुदेव के अंश से पैदा हुए थे । बाद में दोनों राजा होकर पृथ्वी का पालन करने लगे । महाराजा उत्तानपाद ने दो घिवाह किये । एक पत्नी का नाम सुनीति और दूसरी का सुरुचि था । सुनीति के पुत्र का नाम था ध्रुव जबकि सुरुचि का पुत्र उत्तम था । राजा उत्तानपाद सुरुचि को अधिक चाहते थे । या यूं कहना ज्यादा ठीक होगा कि सुरुचि ने महाराज को अपने वश में कर रखा था । एक दिन महाराज उत्तानपाद सुरुचि के साथ राज-सिहासन पर बेठे थे । उनकी मोद में सुरुचि का पुत्र उत्तम खेल रहा था । पास ही फर्श पर ध्रुव भी खेल रहा था । उत्तम पर पिता का बात्सत्य देख




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