मोक्षशास्त्र तत्त्वार्थसूत्र | Mokshashastra Tattvarth Sutra

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Mokshashastra Tattvarth Sutra by स्याद्वादमती माताजी - Syadwadamati Mataji

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१ `प्रदेशबन्ध पुण्यप्रकृतियां पापप्रकृतियां नवप अध्याय सवरका लक्षण सवर के कारण गुप्तिका लक्षण समिति के भेद धर्म के भेद अनुप्रेक्षाओं के भेद परीषह सहन उपदेश बाईस परीषह गुणस्थानोकी अपेक्षा परीषहोका वर्णन परीषहो मे निमित्त एक साथ होने वाले परीषहोकी सख्या पाँच चापि बाह्य तपके भेद अन्तरग तपके भेद अन्तरग तपके उत्तर भेद प्रायश्चित्त के ६ भेद विनय के ४ भेद बैयावृत्त्यके दस भेद स्वाध्यायके ५ भेद व्युत्सर्ग तपके दो भेद ध्यानका लक्षण 175৮৮2৮0৮1৮ 6 16 ৮ 1 112 42115 59192 225৮ ৮ विषय सुची २४ २५ २६ 1 0 তে <» +< ० ~~ ~ 4१4०-१२ १३-१६ १७ १८ ৭5 २० २२ २२ २३ रए २५ २६ २७ | 44 १४ अध्याय सु घ्यान के भेद ~ श्८ ध्यान का फल ६ रर आत्तध्यानके ४ भेद & ३०-३३ आर्तध्यान के स्वामी & ३४ रैद्रध्यान के भेद | ३५ धर्मध्यानका स्वरूप & ३६ शुक्लध्यान का वर्णन & ३७ -४४ पात्रकी अपेक्षा निर्जण मे न्यूनाधिकता रद ४५ निर्ग्रन्थ साधु्ओंकेभेद ও ४६ पुलकादिकौ विजञेषता ४ ४७ दशम अध्याय केवलज्ञान की उत्पत्तिका कारण १० १ मोक्षका लक्षण १० २ मोक्ष मे कर्मोंके सिवाय किसका अभाव. १० ३-४ कर्मोंका क्षय होनेके बाद ऊर्ध्वगमन १० ५ ऊर्ध्वगमन के कारण ৭০ ६ उक्त चारो कारणो के क्रम से दृष्टात १० ७ लोकाग्रके आगे नहीं जानेमे कारण १० ८ मुक्त जीवो के भेद १० ८ अन्तिम श्लोक




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