नौजवान | Navjavan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
318
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)| तीन |
मुंशी चंपा को आक्ृष्ट कर जयराम सेठ के दफ़्तर में ले गए |
वह भिखारिन सिमटती-सकुचाती हुईं सेठजी के भव्य कमरे में
खड़ी हो गई। |
- ४तुम आ गद, हमारी फ़ेक्टरी में भरती होने की । एक नया
प्रकाश पड़ जायगा तुम्हारी ज़िंटगी में |” सेठल्नी कुरसी से
उठकर बाहर चलने लगे। उन्होंने चंपा से भी चक्नने का इशारा
किया--“मेहनत भिखारी को भी करनी ही पड़ती है, लेकिन
इज्जत खोकर। में तुम्हें उस समय चार आने भी दे देता, तो
तुम्हारी एक शाम भी नहीं कटता । यहाँ जो कुछ तुम्हें मिलेगा,
उससे सारा जन्म सुख ओर शांत के साथ कट जायगा।”?
सेठजी चंपा को फ्रेक्टरी के एक भीतरी द्विस्से में ले गए। वहाँ
दो ची दीवारों के घेरे में दो फाटक बने हुए थे। एक फाटक
के द्वार पर पुरुष का चित्र अंकित था, वहाँ एक गोरखा सिपाही
पहरे पर था। दूसरे फाटक पर एक ड़ारी की तसवीर बनों हुई
थी, वँ एक गोरखा-खं; कमर में सुकरी लटकाए, चौकसी कर
रही थी ।--
जयरामजी दूसरे फाटक के ्भतर घुमे, चंग कों केकर । कई
- इमारत थीं उस ˆ चहारदीवारी के श्रंद्र । सेरजी न एक दलि श
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