कला और बूढ़ा चाँद | Kalla Aur Budha Chand
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
205
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ओ रंभाती नियो
वेसुध
कहाँ भागी जाती हो?
वशी रव
तुम्हारे ही भीतर है |
জী ছল गुच्छ
लहरो की पूंछ उठाए
दौडती नदियो,
इस पार उस पार भी देखो,-
जहाँ फूलो के कूल,
सुनहले धान के खेत है!
कल कल छल छल
अपनी हो विरह व्यथा
प्रीति कथा कहते
मत चली जाओ ।
सागर ही तुम्हारा सत्य नही ।
वह् तो गतिमय श्रोत की तरह
गति हीन स्थिति भर है ।
तुम्हारा सत्य तुम्हारे भीतर है ....
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