गीति - काव्य | Geeti Kabya
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
53 MB
कुल पष्ठ :
390
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)गीति-काव्य ७
लिए सल्जीतात्मकता अपेक्षित रही । वाल्मीकीय रामायण गेय है ओंर स्व-
कुशने रासके आगे उसका सखर गान किया था। नीति या स्तोत्र पद्च-
बद्ध होकर भी गीति-काव्य नहीं, कारण झात्सनिश्ताका अभाव है | खण्ड
काव्योंमेंसे अनेकर्में गीति-तत्त्व प्रचुर मात्रामें विद्यमान हैं किन्तु वे शुद्ध
गीति-काव्य नहीं । मेघदतमें कालिदासने वेयक्तिक ह्ष-शोककी अभि-
व्यञ्जना की हे किन्तु इसके आधार-रूपमें आख्यानका आग्रह भी कम
नहीं । इस कारण इसमें गीति-काव्य ओर आख्यान-काव्यके तत्वोका
सस्सिश्रण है | “मन्दाक्रान्ता'में एक ओर विषादकी जहाँ गंभीर অলি-
मिश्रणके द्वारा इसमें 'लिरिकल बेलड! ( 1,971021 0921120 >) श्रगीत-
गाधाः का आग्रह अधिक है| मेघदतका गीति-काव्यत्व देखने योग्य है---
मामाकाराप्रसिदितमुञं निदेयाश्टेषहेतो--
लच्धायास्ते कथमपि मया खप्र घं दशनेषु ।
पश्यन्तीनां न खलु वहुशो न खलीदेवतानां ।
सुत्त स्थूलास्तरुकिसलयेष्वश्रुटेशाः पतन्ति ।
[ परिये ! स्वधमे किसी तरह जवर में . तठुझको पा जाता हूँ,
शून्य गगनमें आलिट्लननको तब बॉहें फेलाता हूँ।
वनदेविय दशा यह् मेरी देख-देख दुःख पाती हैं ;
आँसुकी मोती-सी वदे पत्तौपर बरखाती हे । ]
भिया सश्चः किसलयपुटान्देवदारुद्रमाणां ।
ये तत्त्ीरस्नतिसुरभयो दक्षिणेन प्रवृत्ताः
तपेति नूह ॥ হাংরি ॥ দা নপগ 149 বজমউএসউনদাজা জাম জলির রা পা পাকার টাকাটা রাও গজায়
# केदवप्रसाद मिश्र कृत हिन्दी अनुवाद |
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