उदान | Udaan

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Udaan by जगदीश काश्यप - Jagdish Kashyap

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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न उदान र. छुः झायतन के प्रत्यय से स्पश स्प्े के प्रत्यय से वेदना वेदना के प्रत्यय से तृष्णा कृष्णा के प्रस्यय से जपादान उपादान के प्रत्यय से भव मच के प्रत्यय से जाति जाति के प्रत्यय से बूढ़ा होना सर जाना शोक करना रोना पीटना दुःख उठाना बेचैनी और परेशानी होती है । इस तरह सारा हुः्ख- समुदाय उठ खड़ा होता है । इसे जान कर उस समय भगवान्‌ के मुँह से उदान& के ये शब्द निकल पड़े-- जब क्षीणाश्नद तपस्वी योगी को धर्म प्रगट हो जाते हैं तत्र उसकी सारी कांक्ताएँ मिट जाती हैं क्योंकि बह हेतु के साथ बम को जान लेता है ॥१॥। थक. का ही चन्द्र दर श्र २--प्रतिलोम प्रतीव्य-समुत्पाद ऐसा मैंने सुना । _.. एक समय भगवान्‌ उरुचेला में नेरज़रा नदी के तट पर बोधिवृक्त के नीचे झभी तुरत दी बुद्धव्व प्राप्त कर विहार कर रहे थे । उस समय भगवान विसुक्ति-सुख का झनुभव करते सप्ताद भर एक ही शासन लगाये बैठे रहे । तत्र उस सप्ाइ के बीतने पर भगवान्‌ ने उस समाधि से उठकर उदोन प्रीति-वाक्य । १ घर्म-ज्ञान स्‍ सत्य-न्ञान-- बोधि-पक्तीय घर्म या चतुः सत्य-घम झटुकथा




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