पत्रो के प्रकाश में कन्हैयालाल सेठिया | Patro Ke Prakash Men Kanhaiyalal Sethiya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सामाजिक क्षेत्र मे श्री सेठिया मदिरा के जीर्णोद्धार की प्रेरणा के सतत स्रोत हैं। आप नव निमाण की अपेक्षा विद्यमान मदिरा वी सुरक्षा को अधिक बल देते हैं तथा समय-समय पर योग्य पात्रा को इसकी प्रेरणा देते रहते है 1 आपने सन १६५४ ई० में राजस्थान मे अपने क्षेत्र म सती प्रथा का पुनर्जीवित करने के' सामन्‍्ती पडयन को विफल करने के लिये केद्रीय सरकार को कठोर कदम उठाने के लिये प्रेरित किया और अपराधिया को दण्डित कराने म सफल हुए । अग्रोहु क! हरियाणा को राजवानां बनाने के लिये आपके सुझाव को हरियाणा उप-मुख्यमत्री श्री वतारसीदास गृप्ता ने विशेष महत्वपूण माना । विभिन साहित्यिक एव सास्कूतिक' सम्मेलनो में थापकी उपस्थिति प्रेरणा स्नांत बनती है । आप रूढिया पर कट्टर प्रहार करने मे तनिक मी सकोच नही बरते एवं विभिन मतवादा के ऊपर उठकर भारत वी महान समवयवादी एवं त्याणपूण सस्कृति के पक्षधर ह उमकौ जीवित प्रतिमूति भी । कलकत्ता की अनेक साहित्यिक सामाजिक' सस्याओ ने' आप प्रेरक हैं। गत वय वे मूख एव अकाल दे समय न केवल आपने अघोरी कालः नामक कान्य पुस्तिका लिलकर लछागा एवं सत्ताघीणा वी मानसिकता का झकयोरा बल्कि प्रत्यक्ष सहायता काय के लिये भी अनेक छाया को प्रवृत वरके पशुघन एंव मानवा की रक्षा म योगदान क्या। आपने अस्वस्थ रहते हुये भी अकाल पीडित क्षेत्रा का दौरा किया शिक्षा के क्षेत्र मे सेठियाजी, शिक्षा वा प्रचार प्रसार श्री सेटिया के' जीवन का महता महत्वपूण अग रहा है। आपने राजस्थान के विभिन नगर उपनगरा के' अनेक विद्यालय एव विश्वविद्यालया का स्यापना कौ प्रेरणा एव सहयाग दिया । सपने गावा म भी शिक्षा का प्रचार प्रसार विया। जागीरटारा के विराध के बावजूद जापने तह्मील डीडवाना के ग्राम लाइसर में १६४१ ई० म विद्यालय को स्थापना की । अपने दोफानेर, दाटा तथा अजमेर स विश्वविद्यालया वी स्थापना के' लिये सतत प्रसास पिया 1 प्रसन्नता की वात है कि सातवो योजना म दून विश्व विद्यालया का स्थापना का प्रावघान स्वीकार वर लिया गया है। अध्यापका वा उचित माय का समयथन वर उन्हें याय निलया एव समग्र बीवानेर समाग में विशण सस्याज के निमाण सम सक्रिय यागटान जिया।




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