सिद्धराज | Siddharaja

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Siddharaja by सूर्यशंकर पारीक - Surya Shankar Pareek

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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न र४ पट मास पगा दौडण लागी बोले. तुतलो मीठी. वाणी छोटी ऊमर मे मोटा पण सूरत लागे इरण री स्पाणी २५ माता रे हरख बधै स बधे दूजा रे हरख बे देख्या स्याशो सुधरो सो णो बादक जिश प्रेम बधे इणने पेस्या २६ पग सुदर बाज. पेजणियां गछ बाघनखों ग्रोपे जबरों चोटी सिर लॉवी एक हाथ देखयाँ जी-सोरो हुय सब रो २७३ तन रो कवछो पण सजोरो ऊची पण नाक सुवा-सारी रस-भरघा कवछ-सा नैण निरख घण हरख बधघावे महतारी




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