छायालोक | Chhayalok

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Chhayalok by डॉ शम्भूनाथ सिंह - Dr. Shambhunath Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जिस पर मुसकाती रुूप-किरण मुमसे वह दूर किनारा है। जीवन का मुग्ध शलम में था तम कौ रमा मं उड आया प्राणों की बलि देकर, न किसी के प्राणों को बहला पाया तम का यह मौन गहन कानन जिसमें सम जीवन और मरण ভবানী আবী मन की ज्वाला भी छू तम की शीतल छाया अब तो नयनों में क्षण भर भी मलका करती मधु प्यास नहीं जिख प्र लहराता है जीवन मुमसे वह दूर किनारा है | হাসার भ्व गि {द পে হজ টি. কল্প টিন শে পেশ জান শ্জিন ৮৮ 0 টোটকোজ্প नक न पफ कनक {र “वरव হি कप आय 70, ও লাকা - प्या ०2 त-स. व कय थ পিন পাব রিপা किक किड्रोफान २३ ०-18 কক পপর এপস জল বারন




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