मूलबीजक टीका सहित | Mulbeejak Teeka Sahit
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
37.53 MB
कुल पष्ठ :
631
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about खेमराज श्री कृष्णदास - Khemraj Shri Krishnadas
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)न १९ मुठ बीजकका सूचीपत्र । जअड्कू |. विषय जककू साहू चोर चीन्हें नहीं साखी १५९ | शेख जकबी शेख सकी... ४८.|सहूसे भी चोरवा साखी १११ | घ ः साहब साहेब सब कई साखी १८१ पर खरा करें सब कोई ज्ञानवीतीसा ३१ सं 1 सर सिद्ध भया हो क्या सया .... साखी २९९ १ ५८ सकों दुर्भति दूर कर साखी रण सिंध अकेंसा बन रे... कक हसन ४६९४ सिंघों फेरी खोली ही न ८१ || सतगुस बचन सुना हो सन्त. २९० । सु ः | | सदन सोया मानवा . ...... २९१ बचन मांगे नंहीं साखी ६६ सबकी उत्पति धरती. २०१ सुखके एक जगत उपाया. रसैनी ८२ सांचा भा... ...... - ६४ न सोहै साखी रमैनी ६९ | सबतें उघुता भठी .......... २२३ | सुन सबन मिछि विम्रमतीसी विधमतीसी १ मद माते ..... बसन्त १० सबकी निवेरिये साखी रु सुभागे केहि कारण छोभ छांगे. शब्द ८५१ सुमिरण करूं रामका काछ साखी १ सुमिरण करहुं रागका १७1 सुख्ति चीन्दों . रमेनी . है१1 सुर नर मुनि आओ देवता साखी २५० सुखुर पेड अगाध फठ साखी २३७ से लोग जहांडाइया . साखी रमैनी १६ || समुझागे समुझे नहीं... साली २३३ १ सम जड हो रहें १६७ | सपुझेकी गति एक है गा १५० ससा सर सचो बरियाई ज्ञाव॑चातधीसा २ | सहज ध्यान रु सहज ध्यान रहु कहरा १ ही सा.. से ही | सांईके संग सासुर आई दाब्द ४ |सिमर केरा सुचना साखी १६४ | साखी पुरंग्द ढहि परे साखी ११७ |सेमर सुचना तु साखी १६४ ४ साखी भांखी जानकी १. | समर सुबना सेइय। साखी १६५ | साखी कहे गहै. नहीं सो ही || सांच कहीं तो है नहीं २७० सोई कहता सोइ होहुगे साखी रमेनी १४ || सांच वसावर तप नहीं... पे सोई नूर दिछ पाक है साखी ३४९ कोइ न माने . साखी रमैनी १४ दर सोई दितबन्धू मोहि भाव... रमेनी ६६ | सांचा वाद कबीरका हृदया साखी ७४ | सोग बधावा जिन्ह समके माना रंमैनी | सांचा सीदा कीजिये सांखी ६५ न सांचें श्राप च छागे साखी ३०८ सोचा सहाय साह की भाड़ रहा ॥ | साधु सया तो कया भया साखी २९५ सं ५ साधु सन्व ते जता... साखी रसैनी . ५८ | सज्ञति कीजे साघुकी साखी १०४ | साधू होना चाहिये साखी २८० | सज्जतिसे सुख उप हा पु०८ || सांप बिच्छूका मन्त्र है साखी. १४३ |संजोगेंका गण रवे. .. साखी रमेती ४० 1 -सायर बुद्धि बनायके साखी १०८ | सन्त महन््ता सामरो साइ शब्द ९० सार शब्दसे बोचहू साब्यू १९४. सन्ते अचरज एक सो भारी कहीं . सावज न होइ भाइ साचज शब्द ८८ सन्ता अचरज एक भी भारी पुत्र ६ | सावन करा सेहरा साखी ७७ सता आवे जाय सो गाथा
User Reviews
No Reviews | Add Yours...