धूप - छाँह | Dhoop Chhanha

Dhoop Chhanha by मुंशी मुराद - Munshi Murad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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॥ भरी; ॥ ज> घृप-छाँह শু मि अंक पहिला-परदा पहिला | वगीचा । ( गाना प्षवका ) दाबर तेरो नाम रटत हम नित कर तोरी आस सगरे। सगरा जगत तोरा बन्दा हेगा बारी ताला ॥ मलक फलक माने तारी वतिया । हां कादिर कुदरत वाला, करतार तू है आला ॥ सबसे ग्यानी तू लासानी. वसर सजर हजर । सगर ध्यानम तेरे है जानसे तोहे पूजे सभी हम ॥ सेली १- ए मेरी प्यारी वहेन मादरू, खुदा तुम्दं इस दुनियां की जहरीली आंखोसे बचाये,तुम्हारे इस हुस्ने दिलकश पर किसी बद बातनकी नजर न लग जाये। सहेली २- जो कोई एक मरतबा, ए प्यारी प्यारी सुरत्त देख पाये, तो उसे बे देखे चैन न आये ।




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