धूप - छाँह | Dhoop Chhanha
श्रेणी : नाटक/ Drama, साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
138
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)॥ भरी; ॥
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अंक पहिला-परदा पहिला |
वगीचा ।
( गाना प्षवका )
दाबर तेरो नाम रटत हम नित कर तोरी आस सगरे।
सगरा जगत तोरा बन्दा हेगा बारी ताला ॥
मलक फलक माने तारी वतिया ।
हां कादिर कुदरत वाला, करतार तू है आला ॥
सबसे ग्यानी तू लासानी. वसर सजर हजर ।
सगर ध्यानम तेरे है जानसे तोहे पूजे सभी हम ॥
सेली १- ए मेरी प्यारी वहेन मादरू, खुदा तुम्दं इस
दुनियां की जहरीली आंखोसे बचाये,तुम्हारे इस हुस्ने दिलकश
पर किसी बद बातनकी नजर न लग जाये।
सहेली २- जो कोई एक मरतबा, ए प्यारी प्यारी सुरत्त
देख पाये, तो उसे बे देखे चैन न आये ।
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