नयचक्रादिसंग्रह | Nayachakradisangrah
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
198
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्
तेति पायपसाे उवरद्धं समणतचेण ॥
~ पहली गाधाका अथे यह है कि * दव्वसहावपयास ! ना |
. ध्रका एक ग्रन्थ था जो दोहा छंदोंमें बनाया हुआ धा { उसीकौ '
` माद घवलने गाथाओमे रचा | =
. द्री गाया बहुत कुछ अस्पष्ट है; फिर मी उसका अभि- _
. आये लगभग यह है कि श्रीदेवसेन योगीके चरणोंके प्रसादसे यह
- प्रंथ -भनायों गया | ।
ঘর गाथा बम्प्रईकी प्रतिमें नहीं है, मोरेनाकी प्रतिमें है |
, अम्बईकी प्रतिमें-इसके बदले * दुसमीरणेण पोय पेरियसंत › आदि
गाथा है जो ऊपर एक जगह उद्धत की जा चुकी है और जि. `
समें यह बतलाया गया ই कि देवसेनपुनिने पुराने नष्ट हुए नय-
अक्रकों फिरसे बनाण |
| मोरेनावारी प्रतिकी गाथा - यदि. दीक है तो उसे केवर
' यही मालूम होता है कि-माइलछ धवला देवसेनसूरिसे. कुछ नि~.
कटके। गुरुसंबंध होगा । बम्बईवाली प्रतिक गाधा माइछ घबर..
से कोई संबंध नहीं रखती है-वह नयचक्र और देवसेनसूरिकी
प्रशं सावाचक्र अन्य तीन चार गःथाओंके समान एक जुी ही प्र-
शस्ति गाथा है।
नीचे लिखी गाथाम. कदा है किं दोहा छम सचे इए द्रन्य
स्वभाव प्रकाशको सुनकर सुहंकर या युभकर नामक्रे कोई सन्च- -
जो संभवत माइ घवलके मित्र होंगे हंसकर बोले कि दोहा-
. ,भमिं यह अच्छा नहीं ढगता; इसे गाथाबद्ध कर दो;---
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