छात्र विक्षोभ | Chhatr Vixobh

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Chhatr Vixobh by कृष्णवीर द्रोण - Krishnavir Dron

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मेंट-वार्तायें सम्मिलित की गई हैं। मेरी जानकारी में मेरे चतुदिक जब कभी कोई उत्तेजनापूर्ण घटना शिक्षा-जगत मे घटी है, तो मैने भ्रविलम्ब सम्बन्धित व्यक्तियों की मनोभूमि को उनके असल रूप मे ग्रहण करने की दृष्टि से उनके पास पहुँचने का यथासम्मव प्रयास किया है। मेंट-चार्ताओं के सम्बन्ध मे इस बात की विशेष सावधानी रखी गयी है, कि वे नितान्त अनौपचारिक वातावरण मे भ्रायोजित की जाय, जिससे सामयिक उद्धे लित भावनाभ्रो तथा विचारो के फालगत तापक्रम को सही-सही नापा जा सके । सम्पादक को यह्‌ प्रसन्नता है कि उसको ऐसे “उत्तेजित स्थलो' की 00 16 ०६ अप्त करने का भ्रवसर प्राप्त हो सका है। हमारा विश्वास है कि विद्यार्थी-प्रान्दोलन मे सम्बन्धित उन कुछ श्रत्यन्त महत्वपूर्ण ध्यक्तियों के विचार, जो हमारी समस्या को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से स्पर्श कर रहे हैं, हम भेंठ-वार्ताओ्ो के द्वारा पाठको तक पहुचाने मे कदाचित्‌ सफल हो सकंगे । पुस्तक के श्रन्तिम माग--“विचार विन्दु मे हम उन विद्वानों के दृष्टि-विन्दुओ को प्रस्तुत कर रहे ई, जिन्हे उन्होने सारग्मित लघु रूप मे श्रभिव्यक्त किया है। वैसेतो ममी विचारको ने श्रपने-भ्रपते मौलिक दृष्टिकोण इस समस्या के वारे मे प्रकट विये ह, परन्तु भ्रामतौर पर यह धारणा सब से प्रवल है कि विद्यार्थी-श्रान्दोलन के लिये विद्यार्थी को दोष नही दिया जाना चाहिये, वल्कि इसके लिये देश की सामाजिक, राजनीतिक, श्राथिक, नैतिक एवं सास्कृतिक परिस्थितियों को ही उत्तरदायी ठहराया जा सकता है । श्री वाई. वी दामले, डॉ० वी. के. आर. वी राव, श्री बालकृष्ण নীলা एव डॉ०रुहेला का मत है कि राजनीतिक परिवर्तन तथा श्रौद्योगिक तकनीकीकरण के कारण देश के युवको के मनों मे से परम्परागत जीवन-मूल्यो, सास्क्ृतिक एवं सामालिक स्थापनाओं से श्रास्था उठ गई है, परन्तु श्रमी नवीन गूल्य स्थापित हो नही पाये हैं । श्रत यह दो विरोधी मूल्यों का सघर्ष-काल है । श्री जे. पी. नायक एवं डॉ० राव का यह कथन भी उचित है कि स्वतन्त्रता के वाद कुछ छात्र बिद्यालयो मे ऐसे परिवारों से भ्राये हैं, जिनमे शैक्षरिगक परपरायें नही रही हैं। अत' ऐसे छात्र शहरी वातावरण से भ्रपना सामजस्य नदी बिठा पाते । प्रो० नेमा इस श्रसन्‍्तोष को छात्र-असन्तोष न कह कर एक निशेष आयु-वर्ग (१५ से २५ वर्ष ) के युवकों का सामान्य असम्तोष मानते हैं । १७




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