गाड़ी वालों का कटरा भाग - 1 | Gadivalon Ka Katara Bhag - 1
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
162
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)¦ १ )
जिसमे मृत्यु कहीं अधिक अ्रच्छी हो? लेखक आपको হন আইন
उपन्यास में दिखाता है कि जो आज समान ই अधम और नीच समझी
जानेवाली वेश्यायें हैं, वे वेश्याय कैसे बनती हैं, कोन उन्हें वेश्या बनाता है?
कौन उन्हें यह नारकीय जीवन व्यतीत करने के लिए मजबूर करता है ?
हमारे समाज के वे भद्र समके और कहे जानेवाले पुरुष हो जो
अपनी श्रति काम-बासना को तृत् करने के लिए मासूम बशियों को
कुमाग पर ले चलते हैं या धन की सहायता ने अपनी कामना को
तृत्त करना चाहत हैं, वात्तव मे वेश्यावृत्ति के ज्िए जिम्मेदार हैं ।
निस्मन्देह समाज के उन भद्र पुरुषों की, जो रुपया देकर अपनी
कामबासनाओं को तृप्न करने के लिए बाज़ार में प्रेम खरीदना
चाहते हैं, माँगें पूरी करन के लिए ही समाज में वेश्यावृत्ति का धन्धा
चलता है जो कि कपड़ा वेचन, आदटा-दाल या मिठाई बेचने या গাই
मायं, वकरियो वचने की तरह ही एक धन्धा है। इस पघन्ध की पद्यः
और दूकानें हैँ जो चकले कहलाते हैं। चकलो के मालिक ओर
मालकिन दूसरे दुकानदारों की तरह बैठकर निस्पहाय, मूखं ग्रौर छली हई
छोकरियों के शरीर दिन-दहाड़े हमार सभ्य कहलानवाले समाज में खरीदते
और बेचते हैं । इस व्यापार के केन्द्र आमतोर पर बढ़े शहर होते हैं जहाँ
भोली-माली, नई ओर पुरानी छोकरियों को भेड़-बकरियों की तरह ला-
लाकर दलाल बेचत और अदलते-बदलते हैं और खूब रुपया कमात हैं |
यह धन्धा बडा पुराना दै और श्रमी तकं केवल इसीलिए यह
समाज में क़ायम है कि समाज के कुछ लोग अपनी अति-काम-वासना
को पूरा करने के लिए इसे क्रायम रखना चाहत हैं। समाज को गन्दगी
को बहाकर ले जाने के लिए. कुछ मोरियों की ज़रूरत है। अ्रतणव कुछ
मानव शरीरो से, जिनका पाना दुलेम माना गया है, जबरदस्ती इन
मोरियों का काम लिया जाता है। आप कहेंगे कि जबरदस्ती कहाँ दे !
आप धन देते हैं जिसके एवज में वेश्याएँ खुशी से आप को अपना प्रेम
देती हैं ! आप घन देते हैं यह सच ज़रूर है ओर आपके घन के लिए,
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