आधुनिक लोकतंत्र | Aadhunik Lokatantra
श्रेणी : राजनीति / Politics
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
106
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)झाददों
समय-समय पर स्वतंत्रतापूवेंक, और प्रतिष्ठित पद्धतियों
के अनुसार शासकों को नियुक्त करने या हठाने के लिए, और
जिन कानूनों के द्वारा समाज का शासन होता हो, उन्हें पारित
करने या रद करने के लिए कार्य करें। मैं समभता हूं कि यही
अर्थ है जो इतिहास ने एक शासन-पद्धति के रूप मे 'लोकतंत्र'
छब्द को प्रदान किया है । अतः इन भाषणों मे मैं इस शब्द
को इसी अथे में लूगा ।
हमारे काल का सर्वाधिक स्पष्ट तथ्य यह है कि इस
प्रकार परिभाषित लोकतंत्र की प्रतिष्ठा मे आइचर्यंजनक हास
हुआ है। पचास वर्ष पहले लोकतांत्रिक शासन को, और
उसके साथ जुड़ी हुई स्वतन्त्रताओं को मानव-श्रात्मा की एक
स्थायी विजय के रूप मे देखना असंभव नही था | १८८५६ में
ऐण्डू कारनेंगी ने विजयी लोकतंत्र शीबंक एक पुस्तक प्रकाशित
की थी । बिना भय और बिना अध्ययन के लिखी गई यह
पुस्तक शायद उच्चतम बौद्धिक श्रेष्ठता की उपलब्धि तो नही
थी, किन्तु पुस्तक का शीर्षक कम से कम उस समय व्याप्त
विवास को भली भाँति व्यक्त करता था--यह विश्वास कि
लोकतंत्र ने भली भाँति संघ किया था, निर्णायक युद्ध जीते
थे, और वह अनिवाय॑तः भ्रपने भ्रन्त्िहित गुणो के दारा,
विश्व से उन सर्वाधिक गभीर राजनैतिक और सामाजिक
बुराइयों को शीघ्र ही दूर कर देगा, जो न जाने कब से
मानव-जाति को पीडित किए थी। सपयुक्त राज्य अमरीका में
ऐसा विश्वास रखना सबसे ज्यादा आसान था, जहाँ शासन
के अन्य रूपो की परम्परा भी इतनी अजनबी और इतनी
दूर की थी कि हमारे अपने आश्यावाद पर उसका कोई
प्रभाव नही था। लेकिन यूरोप में भी लेकी जैसे गंभीर
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