गुप्तवंशिय अभिलेखों का धार्मिक अध्ययन | Guptavanshiy Abhilekhon Ka Dharmik Adhyayan

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Guptavanshiy Abhilekhon Ka Dharmik Adhyayan by सुमन्त गुप्ता - Sumant Gupta

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about सुमन्त गुप्ता - Sumant Gupta

Add Infomation AboutSumant Gupta

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
२ गुप्त श्रभिलिख : एक धारक श्रध्ययन वर्णित तथ्यों की पुष्टि भी इन अभिलेखों से होती है । समुद्रगुप्त के ज्येष्ठ पुत्र रामगुप्त के संबंध में हमें साहित्यों में चर्चा मिलती है । इन साहित्यों में चर्चा होने के कारण जनश्रुतियों में भी रामगुप्त की पर्याप्त चर्चा फैल चुकी है । साहित्यिक साक््य विशाखदत्त कृत देवीचद्धगुप्तम्‌' नामक संस्कृत नाटक में इसका उल्लेख है कि रामगुप्त नामक व्यक्ति समुद्रगुप्त का पुत्र था । इसके अतिरित बाण ने हर्षचरित* में भी रामग्रुप्त का उल्लेख करते हुए कहा है कि, 'भ्ररिपुर में शक नरेश नारीवेशधारी चंद्रगुप्त द्वारा उस समय मारा गया जब वह परस्त्री का आलिगन कर रहा था.। अबुल हसन ने इसका उल्लेख अपने 'मुजमल उत तवारिख' में श्रधिक विस्तार से किया है कि शशक नरे कौ हृत्या से चन्द्रगुप्त की प्रतिष्ठा जनता के हृदय में घर कर गरईथी ग्रौर वहलोगोंमें्रादर का पात्र वन गया थ।' 13 उपर्यवत्त विवरण से स्पष्ट है कि साहित्य तथा विभिन्न विवर्णो में उल्लिखित रामगुप्त नामक कोई राजा था जिसका श्रुवस्वामिनी से विवाह हुआ था। परन्तु भाई रामगुप्त की हत्या कर चंद्रगुप्त ने ध्रुवस्वामिनी से विवाह किया | साहित्यों में वर्शित रामगुप्त की ऐतिहासिकता को कतिपय विषान्‌ स्वीकार नहीं करते।वे उसे एक कात्पनिक व्यित मानते हैं । परन्तु एरण से प्राप्त एक मुद्रा प्रभितेखण से रामगप्त नामक राजा की ऐतिहासिकता की पुष्टि प्रोफेसर के० डी० वाजपेयी ने की है। इसी भांति विदिशा नगर के समीप से प्राप्त तीन जैन प्रतिमाओं से भी उसकी पुष्टि होती है। इनमें से प्रथम मूर्ति की चरण पीठिका पर* एक अभिलेख उत्कीरणों है । रामगुप्त की ऐतिहासिकता सिद्ध हो जाने के कारण उसकी देवीचन्द्रगुप्तम्‌ (नाटबदर्पण में उद्धत) निर्णय सागर प्रेस सं० पृष्ठ २००, कावेल थामसकत अनु ० पृष्ठ १६४ हिस्दी आफ इण्डिया---इलियट, पृष्ठ ११० के० डी० बाजपेयी (जरनल ग्राफ न्यूमिस्मेटिक सोसाइटी आफ इण्डिया वर्ष ६१६६१) ५. उदयतारायरा राय पृष्ठ २३८ (गुप्त साम्राज्य) भगवतो5हँत: चन्द्रप्रभस्य प्रतिमेयं कारिता महाराजाधिराजश्री राम- गुप्तेन-उपदेशात्‌ पाणियाव्रिक ` চিঠি ८. ও




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now