उच्चतर व्यष्टिगत अर्थशास्त्र | Uchatar Vyastigat Arthshastra

Uchatar Vyastigat Arthshastra by सी० एस० वरला- C. S. Varla

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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4 उच्चतर व्यष्टियत अयंशास्त्र क्रम मे संतुष्ट करने का प्रयास करे 1 यही अर्थंशास्व कौ आधारभूत सम्या यानी चुनाव की समस्या वदलानी है । चुनाव को समस्या. वस्तु स्यानापन्ता (ऽध 52৭71961070 की समस्या है--विभिन्न आवदयकताञो नै मध्य प चुनाव की_ सम॒र्य चस्तुल स्थानापन्नता कौ समस्या है 1 किमी भौ व्यक्ति को एक्‌ वस्तु की निर्दिष्ट (अथवा अतिरिक्त) इकाइयों कीश्राप्ति केवल उसी ददामेटोस्मनीदहै जव बह विसी अन्य वत्त या व पिसी अन्य वस्तु या वस्नुओ को ঘুমায় কই | अन्य दाब्दों में, एक दम्तु का उत्पादन बदन हेतु साधनों वा पुमः आबटन करत हुए दूसरी वस्तु या वस्सुओ के उत्पादन मे इनका प्रयोग कम करना होता है । यह उस वस्तु वी अवसर लागत (079०10०॥७ ८०४) भी बहः भी बहलाती है । साधनों द्वारा उत्पादन सभाध्यता एवं तकनोको स्तर में प्रत्यक्ष संबंध है--सॉधनो की दी टुई मात्रा से निर्दिप्ट तकनीक या সীভীতিন্দী (£5০10085) के आधार पर व्यक्ति अथवा समाज वस्तुओं व संवाओ की लनिदिष्ट इष्टतम मात्रा प्राप्त कर सकता है। यदि साधनों की_उपलब्ध मात्रा वढ़ जाए, तथा/अथवा भ्रौद्योगिक प्रगति के कारण साधनों की अल्प मात्रा में भी वस्तु की एक इकाई का उत्पादन समव हो जाएं, तो उत्पादन सभाव्यता भी विवतित हो जाती है। यही कारण है वि घाति दिश्लेषण में आज हम प्रोद्योगिक प्रगति को भी पर्याप्त महत्त्व देते हैं । অখুহাভ বিরল के वग परिमर स्टोनियर एव हेग ने अर्यश्चास्त्र को _तीन भागों मे विभाजित किया दैः ()/ वर्णवमूलक (१९७५१४९) अयेशास्व, (1) भाषिक सिद्धात, एव 9 अनुप्रयुकत (909॥९0) अर्थशास्त्र । बर्णनमूलक या वर्णुनात्मक अर्थ॑श्रास्त्र मे हम निदिष्ट विषयों पर तथ्यो को एकत्रित करके उतका विश्वेषण प्रस्तुत बरने हैं। उद्दाहरण के लिए, हम भारत के सूंती वस्त्र उद्योग, कृपि-ऋणग्रस्तता अथर्वा बागला देश को कृषि उत्पादिता का तथ्यों व आइकड़ो वें आधार पर विश्वेषण प्रस्तुत कर सकते हैं। ८ ॥ লিন (590৩ সা), আঘবা আক ভরি, [50হ৩- ক লস के प्रमुख लक्षणों का दर्णन करने के साथ-साथ यह भी बताता है कि ঘা क्लिस प्रक्गार कार्य करती है । इसी के अतर्गेत साधनों के आवटत एवं उपयोग से सबद्ध डुछ नियमों या सिद्धातो वी भी ब्यास्था की जाती है । जिन दक्षाओं में कोई व्यक्ति उपओग या उत्पादन के क्षेत्रों में মীঘিল লাঘলী ন্মা आवरन करके अधिकतम उपयोग्रिठा य्रा लाभ-प्राप्य-कर सकता है उतका विवरण भी ब्राधिक गिडाहो-के अतग्ंत परस्तुत्‌ किया जाता है। प्रोफेसर, बोल्डिय-के मतानुपार आधिय विश्लेषण अथवा आधित्र सिद्धात दिसी भो बर्थव्यवस्था में के जान वाली 2 6 0४, 51० আ04 0৮ চাহ র উত০০ এঠ ভারত 2০০0, ६8००४ (1973), 12 = पण्णा




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