हिंदुस्तान की समस्याएं | Hindusthan Ki Samasyayen
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
194
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हिन्दुस्तान कौ समस्याएं १७
बरस हुए कि इस सिलसिले में में भी वहां गया था और वहां के जो महाराजा
साहब थे, उस वक्त उन्होंने मुझे जाने से भी रोका था और आखिर में সু
गिरफ्तार किया था | कहने का सतलरूब यह है हमारा और काश्मीर का
रिश्ता कोई फौजी रिता नहीं है । यह रिश्ता है उन लोगों का जो आजादी
के लिए लड़ते थे, काइ्मीर में या और हिस्सों में हिन्दुस्तान के । बीस वरस
से चला आता था और हम मृकाबला करते थे अंग्रेजी हुकूमत का और
जो उस हुकूमत के साये में थे---बड़े-बड़े राजा-महाराजा, निजाम, नवाब--
उनका। आप देख सकते थे कि जिस वक्त से अंग्रेजी हुकूमत का साया
हटा, ये सब बड़े-बड़े राजा-महाराजा एकदम से कमजोर पड़ गये और उनमें
कोई ताकत न रही और उनका राज्य खत्म हो गया। हमसे उनसे सम-
भौता हो गया, हमने उनको पैन्शने दे दीं। उनके साथ अच्छा वर्ताव
किया; छेकिन उनकी शक्ति नहीं रही, शक्ति उनकी थी ही नहीं । शक्ति
तो अंग्रेजी हुकूमत की थी, जो उनके पीछे थी ।
तो यह् कादमीर मे याद रखने की बात है कि वीस वरस से आजादी
की जंग हुई । हम तो दूर थे, हमारी हमदर्दी थी, लेकिन वह जंग वहां के
रहनेवालों ने की । खास तौर से उसे करने वाली जो बड़ी जमात थी, वह
वहां की नेशनल कांफ्रेंस! थी जिसके लीड़र शेख अब्दुल्ला थे और उनके
साथी थे । उसमें काश्मीर के रहने वाले मुसलमान, हिन्दू, सिख वगैरा
सब थे । जाहिर है, उसमें मुसलमान ज्यादा थे, वहुत ज्यादा; क्योंकि वहां
के रहने वाले ज्यादातर मुसलमान हैं । वह एक आम लोगों की जमात थी ।
जिस जमाने में यह वात हो रही थी उस वक्त वे लोग, जो आजकल पाकि-
स्तान के हाकिम ह, क्या करते थे ? यह जरा आप लोगों को याद रसना
है । मुश्किल तो यह है कि बाहर मुल्कों के लोग तो कुछ इन वाकियात को
जानते नहीं और हर वक्त भूठ सुनक्कर गलत असर उनके दिमाग पर हो
जाते है ।
जिस जमाने में काइमीर की आजादी की लड़ाई हुईं, उस समय मुस्लिम
लीग और वे छोग, जो आजकल बड़े हकिम और भओहदेदार हैं पाकिस्तान _
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