प्रोफेसर रसिक बिहारी जोशी कृत श्रीराधापञ्चशती काव्यम् का समीक्षात्मक अध्ययन | Profesar Rasik Bihari Joshi Krit Shriradhapanchashati Kavyam Ka Samikshatmak Adhyayan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
17 MB
कुल पष्ठ :
236
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)विभिन्न पहलुओ से सम्बन्धित है।' इसका संस्करण अग्रेजी अनुवाद के साथ १६८६ मे
प्रकाशित हुआ है। द्वितीय संस्करण फ्रेन्च अनुवाद के साथ सचित्र न्यूयार्क से
प्रकाशित है |
सस्कृत काव्य “श्री गोवर्धन गौरवम्” हिन्दी अनुवाद स्नहित १६८६ से प्रकाशित है |
काव्य “श्रीराधाज्पचशती”” १६६३ मे प० राम प्रताप शास्त्री ट्रस्ट व्योवर राजस्थान से
प्रकाशित है। इसमे संस्कृत के पांच सौ ग्यारह (५११) उत्कुृष्ठ छन्दो सहित हिन्दी
अनुवाद समाहित है, संस्कृत साहित्य मे इनका अविस्मरणीय योगदान है। यह भक्ति
काव्य शकराचार्य की वेदान्तदेशिक और लीलाशुक की परम्परा की अगली कडी है।
यह शास्त्रीय अलकार की शैली मे रचित संस्कृत गीतिकाव्य है, जिसमे राधा के प्रति
भक्ति और ध्यान के आबेग दृष्टिगोचर होते है। इसमें भाषा की सहजता, आकर्षक
सगीतात्मकता, नवीन विचारों का प्रस्फुटन और भावात्मक अनुनाद शास्त्रीय धरातल
पर प्रतिविसम्बित है जो पाठक के हृदय मे अविस्मरणीय छाप डालता है। इसमे
अनेकश स्थानों पर काव्यात्मक विम्ब आये हैं जो ध्यान एव भक्ति के केन्द्र है। यह
रचना सस्कृत साहित्य के भक्ति काव्य धारा में उत्कृष्ट स्थान रखती है |”
श्रीराधापज्चशती काव्य पर प्रो० रसिक विहारी जोशी को के० के० विड़्ला
फाउन्डेशन द्वारा सन् २००० का आठवां वाचस्पति पुरस्कार ७५००० रू० प्रदान किया गया
है। आज भी इनकी रचना धार्मिता का प्रवाह थमा नहीं है, और इन्होने चार (४) सस्कृत
काव्य हिन्दी और अंग्रेजी अनुवाद सहित लिखा है जो १६६७ से प्रकाशित है-जो निम्न है।
(9.
द
चना
हर सन
श्री भक्ति मीमांसा
श्री शिव लिंग रहस्यमृ
वही पृष्ठ सख्या ८ |
वद्दी पृष्ठ संख्या ८ |
श्रीं राधापचशती (काव्यम) हिन्दी अनुवाद सहित प्रथम सस्करण १६६३ (प० राम प्रताप शास्त्री
ट्रस्ट-व्यावर-राजस्थान से प्रकाशित) कवर पृष्ठ अग्रेजी अनुवाद से उद्धृत |
वहीं कवर पृष्ठ से उद्धृत |
एल० कोलिजियो डि मेक्सिको सस्था' से प्रकाशित पत्र मे ग्रन्थसूची (बिजिटिग प्रोफेसर के रूप
मे-नवम्बर १६६६) से उद्धृत ।
User Reviews
No Reviews | Add Yours...