आधुनिक यूरोप का इतिहास | Adhunik Europe Ka Itihas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( छे ) नवम अध्याय-- प्रथम महायुद्ध (१६१४-१६१६) (क) महायुद्ध के कारण : अन्तर्हित कारण : ४२३५ युद्ध एक चिरन्तन पार्चात्य संस्थान, राष्टरीयवाद का प्राधिपत्य, नवीन साम्राज्यवाद, संनिक प्रतियोगिता,ग्रप्त कुटनीति,त्रिशक्ति गुट और तिराष्ट्रीय मंत्री,भन्तर्राप्ट्रीय अशान्ति, प्रादेशिक संघर्ष, व्यावसायिक इन्द, जर्मनी की अभिलाष!, मनोवैज्ञानिक कारण | तात्कालिक कारण : ४४४ सिराजेबो-हत्याकाण्ड, बेल्जियम को निष्पक्षता-भंग, निकट प्राच्य को समस्या, समीक्षा । (ख) महायुद्ध की घटनायें : ४४८ अगस्त से दिसम्बर १६१४, जर्मन आक्रमण, पश्चिम सोमान्त, पूवं सोमान्त, नौयुष्र, उपनिवेद, १६१५ परिचम सीमान्त, पूवं सीमान्त, दक्षिण पृं सीमान्त, १६१६ परिचम सीमान्त, पूर्वं सीमान्त, नोयुद्ध, १६१७ परिचिम सीमान्त, पूर्वं सीमान्त, युक्‍तराष्ट्रीय हस्तक्षेप, इटली श्रौर तुर्की का ,सम्राम, नौ युद्ध, १६१०८ परिचिमी सीमान्त । (ग) शन्ति का प्रबन्ध : ४५६ भ्न्तर्राप्ट्रीय समेलन, राष्ट्रपति विल्सन, वलीमेन्सो, लायड जार्ज॑, आरलेण्डो, चतुर्देश केन्द्रविन्दु, समेलच की समस्याये, भ रसा- _लिस की सधि, भूमि सम्बन्धी शर्ते, सामरिक शर्तें, आथिक शर्ते, सैन्ट जर्मन सधि, बुल्गेरिया के साथ निऊली सचि, हंगेरी के साथ द्वियानन की सधि, तुर्की के साथ বত জী অতি, महायुद्ध के परिणाम, जर्मनी की असफलता, समीक्षा 1 दशम अध्याय-यूरोप का विस्तार (१७८६ से १६३६): (क) विस्तार के कारण : লই आर्थिक, राजनैत्तिक, आविष्कार की प्रेरणा, धर्म प्रचार की পপ রা त „= লোহার „ -- श




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