शिक्षा में अहिंसक क्रांति | Shiksha Men Ahinsak Kranti
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
124
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about मोहनदास करमचंद गांधी - Mohandas Karamchand Gandhi ( Mahatma Gandhi )
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)११
मैं मानता हूँ कि अिखका अथं होता है, छिक्पा की वतमान पद्धति में
क्रान्ति | अगर देश के भावी नागरिको दौ अपने जीवन-कायं की नींव मजवूत
बनानी है, तो ये चार चीजें जरूरी हो जाती हैं । आप किसी भी प्राथमिक
पाठशाज्ञ में जाकर देछें, आमतीर पर लड़के आपको ओसे मिलेंगे, जो गनन््दे होंगे,
अव्यवस्थित होंगे, और वेसुर-वेताछ में गानेवाले होंगे। अिसलिओे मुझे जिसमें
कोओ झंका नहीं मालूम होती कि जब प्रान्त-प्रान्त के शिक्पा-मंत्री अपने यहाँ
शिक्याकी नभी पद्थति का निर्माण करके अुसे देश की आवश्यकताओं के
अनुकूल बनायेंगे, तत्र वे अन आवच्यक विषयों को अपने कार्यक्रम से अलग न
रक्षेंगे, जिनका मैने अपर जिक्र किया है। प्राथमिक शिक्पा वी मेरी योजना में
तो झिन विपयों का समावेश होता ही है । जिस घड़ी हम अपने बच्चों के सिर
से अकं कठिन विदेशी भाषा को सीकने का बोझ हथ लेंगे भुसी घडी से भिन
विषयों की शिक्पा का प्रबन्ध आसान हो जायगा |
भिसमें खन्देह नदीं कि आज हमारे पास शिक्षकों का यैता दर नहीं हे,
जो भिस नी पद््वति के अनुसार काम कर सके | लेक्नि यह समस्या तो प्रत्येक
नये कार्यं के साथ युत्पन्न होती है । अगर मौजूदा दिक्यक जिन सच विषयों को
सीछने के लिओ तैयार हों, तो अुन्दं वैसा मौका दिया जाय | साथ ही यह
प्रबन्ध भी किया जाय किं जो अिन आवश्यक विषयों को सीछ ले, भुनके वेतन
में तुर्त ही ठीक-ठीक चुदूघि कर दी जाय | प्राथमिक शिक्पा में जिन नये
विपयों का समावेश होनेवाल्य है, अन सबके लिझे अल्ग-अलग शिक्पक रकने
की बात तो वल्पना से बाहर की बात है। यह बिलकुल अनावश्यक है, क्योंकि
अिसुसे अर्च बहुत बढ जायगा | हो सकता है कि प्रायमरो स्कूलों के कुछ शिक्पक
जितने कमजोर हों, कि थोडे समय में वे अन विषयों को सीआ ही न सकें |
लेकिन जो लड़के मद्रक तक पदे होगे, सुन्दं सगीत, चित्रकला, कवायद् और
हनस्-अुद्छोग क मूल तत्वों को सीने म चीन महीने से ज्यादा समय न लगाना
चादिथे । जच अकतार वे थिन विषयों का प्राथमिक ज्ञान प्रात्त कर छेंगे तो फिर
पदात्ते-पढाते भी अपने जिस ज्ञान में चरावर तरक्की कर सकेंगे | लेकिन जिसमें
शक नहीं कि यह काम तभी हो सकता है जब शिक्षपकों में राप्टर के पुनरत्थान
के लि अपनी योग्यता को बराबर वटति रहने की आवुरता हो ओर अत्छाह हो ।
( हरिजनः, ११ सितम्बर, १९३७ )
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