चीन में क्या देखा | China Me Kyaa Dekha

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China Me Kyaa Dekha  by राहुल सांकृत्यायन - Rahul Sankrityayan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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था। कितनी ही दूर तक इरावती नदी पथ-प्रदर्शन करती रही। फिर पर्वतः श्रेणियों को लांघकर मेकांग नदी ममिली। यह एशिया कमी बड़ी नदियां में हैं। इसी के बाद हम चीन की भूमि में प्रविष्ट हुए। नदी-पहाड़ आ जंगल मेः बर्मा आर चीन कं युन्नान प्रदेश में कोई अन्तर नहीं। चीन का यह बह्‌-जातिक भाग है। शान: लोग বলা में बसते हैं आर चीन में भी। थाइ लोग थाई भूमि (श्याम) में बसते हैं और युन्नान में भी। प्रदाश बहुत विशाल है। क्षेत्रफल को देखते हुए जनसंख्या बहुत कम हैं, अर्थात उत्तर प्रदेश के बराबर के क्षेत्र में सिर्फ पाने दो करोड़ आदमी रहते हैं। हमारा विमान भीतर আঁ बाहर दोनों सं बहत सुन्दर था। चीन में उड़नेवाले विमानों की तरह यह भी रूस का बना था। पांच घंटे की यात्रा के बाद बारह बजे के करीब विमान धरती की तरफ उतरने लगा। नीचे दूर-दूर चारों ओर पहाड़ों से घिरी विस्तृत भूमि दिखाई देने लगी। भारत या दूसरे दशां के उड़नेवाले विमानों में विमान के उठते आर उतरते समय कमरपेटी बांधने की सूचना दी जाती हैँ। चीन के विमानों में कमर- पेटी होती ही नही । वह धीर-धीरं जमीन पर उत्तरा। चीन की भूमिका स्पर्श किया। मरा निमन्त्रक चीन बद्र संघ খা। उतरतं ही वांद संघ कं प्रतिनिधि तथा एकं सरकारी प्रतिनिधि स्वागत कं लिए आगे बट आर कार पर बैठा कर, २० किलांमीतर दूर क_-न्मिड.. ले गयं । प्रथम काकीं नगर के एक छोर पर विशाल उद्यान के पास बने एक दुमंजिला नये होटल में जाने पर खयाल आया कि यहां दिन काटने से अच्छा है, कुछ देख आयें। रंगून में विमान पर चढ़ते समय एक आर भारतीय श्री चेरियन थामस मिल गये। इतनी दौर में हम' बहुत आत्मीय बन गये थे। चेरियन विनोवा जी के संगठन में काम करते हें और कितने ही समय से हिन्दू विश्वविद्यालय के विद्यार्थियाँ में रहते थे। चीन के कृषि-विभाग ने उन्हें एक महीने के लिए बुलाया था। हमारे स्वागतकारी मित्रों ने हमारी इच्छा जाः 4.




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