जोड़ी | Jodi
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
141
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)8
सुबह से ही वादल घिर आए थे। सूर्य का कहीं पता नहीं था।
आसमान पर काली-काली घटा छाई थी । गीली हवा चल रही थी ।
रास्ते में एकाघ राही ही दिखाई पड़ते थे । चद्धकांत राय अपने खास
कमरे में बेठे हैं। शौकीन आदमी ठहरे, उनकी बैठक में अपनी रुचि की
सजावट है । वहां कुर्सी, टेबुल नहीं है, सो कमरे की सारी फर्श दूब जैसे
हरे मखमली गलीचे से ढका है । दुघ जसे उजले गिलाफ चढ़े हुए कुछ गाव-
तकिये पड़े हैं । बीच में बड़ा-सा चांदी का परात रखा हुआ है। उसमें
एक खूबसूरत नक््काशीदार फर्शी रखी है । कोने में महोगनी लकड़ी की
तिपाई श्रौर उसपर सोने-चांदी का काम किया हुआ एक बड़ा-सा गुल-
दान है, जिसमें केतकी के तीन-चार फूल सजे हुए हैं । कमरे की दीवारों पर
सफेदी की हुईं है, कहीं एक भी चित्र नहीं टंगा है । दूसरे कोने में सितार,
इसराज आदि कुछ वाद्ययन्त्र रखे हुए हैं ।
चन्द्रकात तन्मय होकर गानः सुन रहे थे । उस्ताद मिसिर जी तान-
धुरा लेकर मियां की मलत्लारया रहे थे ।
ब दन भीजं मोरो सारी,
সস घर जाने दे बनवारी
एकं घन गरजे इूजे पवन बहत
तिजे ननद मोहे देत गारी
राधा कौ कृष्ण से यह विनती राग की गूंज में जैसे बिलख रही है ।
चन्द्रकांत राय मुग्ध होकर सुन रहे हैं । फर्शी की नली हाथ में घरी रह
१७
User Reviews
No Reviews | Add Yours...