पाकिस्तान का प्रतिरोधी उर्दू साहित्य | Pakistan Ka Pratirodhi Urdu Sahitya
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
82
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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भ्रवं चन्द गृज॒त के ग्रौरं प्ररन्नार उन शायरो के भी पढ़ते चलिए. जिन््होने
पाकिस्तान की उदू मुजुल को विरोध तथा आक्रोश का प्रतीक वनाया है--
वेचेन बहुत फिरना, घव राए हुए रहना;
2 इक प्राग सी जज्वो की दहकाए हुए रहना ।
--मुनीर नियाजी
वफ जैसी साइतें जज्बात के अतराफ बयों,
जिन्दगी के नाम पर शोला बजा जिन्दा रहो।
“+अतहर লক্ষী
लोग र्या गए जिस वक्त मुनादी आईं,
भ्राज पैगाम नया नित्ते दलाही देगे ।
साहिल पे जितने भाव गजीदा ये सव के सव,
दरिया का रुख बदलते ही तैराक हो गए ।
पा व गिल सव है, रिहाई की करें तदबीर कौन,
दस्त वस्ता शहर म सोत मेरी जन्जीर कौन
सच जहा पा वस्ता, मुलजिम के कटहरे मे मित,
उस श्रदालत ম ভুননা, भ्रवल की तफसीर* कीन ।
मेरा सर हाजिर है, लेकिन मेरा मुन्सिफ् देख ले,
कर रहा है मेरी फर्दे जुमं3 को तहरीर कौन |
अमीरे शहर से साइल* बडा है ।
बहुत नादार है लेकिन दिल वड़ा है ।
लहू जमने से पहले यू बहा दे,
यहा इन्साफ से कातिल बड़ा है।
किसी वस्ती में होगी सच की हुरमत०,
हमारे शहर में बातिल” बडा है ।
जो जिलः श्रत्लाह् पर ईमान लाए,
वही दानाग्रोण्मे श्राकिति वडाहै।
अपने कातिल की जहानत से परेशान हू मै,
रोज इकः मोत नए तजु की ईनाद करे ।
-पर्वीन णाकर
1. বঘ নান 2. व्याप्या 3. जुर्म की सूची
4. रावाल करने वाला 5. घून का बदला... 6. सम्मान
7. मूठ 8. शासक 9. ज्ञाती
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