पाकिस्तान का प्रतिरोधी उर्दू साहित्य | Pakistan Ka Pratirodhi Urdu Sahitya

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Pakistan Ka Pratirodhi Urdu Sahitya by फजले इमाम - Fajale Imam

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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9 भ्रवं चन्द गृज॒त के ग्रौरं प्ररन्नार उन शायरो के भी पढ़ते चलिए. जिन्‍्होने पाकिस्तान की उदू मुजुल को विरोध तथा आक्रोश का प्रतीक वनाया है-- वेचेन बहुत फिरना, घव राए हुए रहना; 2 इक प्राग सी जज्वो की दहकाए हुए रहना । --मुनीर नियाजी वफ जैसी साइतें जज्बात के अतराफ बयों, जिन्दगी के नाम पर शोला बजा जिन्दा रहो। “+अतहर লক্ষী लोग र्या गए जिस वक्त मुनादी आईं, भ्राज पैगाम नया नित्ते दलाही देगे । साहिल पे जितने भाव गजीदा ये सव के सव, दरिया का रुख बदलते ही तैराक हो गए । पा व गिल सव है, रिहाई की करें तदबीर कौन, दस्त वस्ता शहर म सोत मेरी जन्जीर कौन सच जहा पा वस्ता, मुलजिम के कटहरे मे मित, उस श्रदालत ম ভুননা, भ्रवल की तफसीर* कीन । मेरा सर हाजिर है, लेकिन मेरा मुन्सिफ्‌ देख ले, कर रहा है मेरी फर्दे जुमं3 को तहरीर कौन | अमीरे शहर से साइल* बडा है । बहुत नादार है लेकिन दिल वड़ा है । लहू जमने से पहले यू बहा दे, यहा इन्साफ से कातिल बड़ा है। किसी वस्ती में होगी सच की हुरमत०, हमारे शहर में बातिल” बडा है । जो जिलः श्रत्लाह्‌ पर ईमान लाए, वही दानाग्रोण्मे श्राकिति वडाहै। अपने कातिल की जहानत से परेशान हू मै, रोज इकः मोत नए तजु की ईनाद करे । -पर्वीन णाकर 1. বঘ নান 2. व्याप्या 3. जुर्म की सूची 4. रावाल करने वाला 5. घून का बदला... 6. सम्मान 7. मूठ 8. शासक 9. ज्ञाती




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