अब्राहम लिंकन | Abraham Lincoln
श्रेणी : जीवनी / Biography
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
23 MB
कुल पष्ठ :
476
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कितना अधिक वज्ञन उठा छेता और कितनी शक्ति के साथ कुछ्हाडे के वार
দহন খা, হম নাই में आश्रजनक विविध कथाएं प्रचलित हैं। ऐसे नम्र
और विचारशील बालक के लिए, जिसके हृदय में गु महाकक्षा छिपी
हो, ऐसी शक्ति का पाया जाना वर्धान-खलूप था, और उस वातावरा मं एसा
होना मी अत्येत ही आवश्यक था। लड़कपन में लिकन ने कई तरह के काम
बरने में कुशलता दिखायी । उसने कभी यह विरोध नहीं प्रकट किया कि इस
तरह का कड़ा शारीरिक श्रम उसके मानतिक विकास के अनुकूल नहीं है।
अपने साथ के लड़कों में उसका कापी आदर था। इत्डियाना और केन्थ्वी
में बसने वाले लोगों में उस समग्र इतना पुरुषार्थ शेष नहीं था जिसके लिए
केन्टक्ी पहले प्रसिद्ध था! फर भी पहाड़ी सीमान्त प्रदेशों के लोगों की
तरह इनकी अफलातून के. इस सिद्धान्त म मान्यता थी कि उठते हुए
यौवनकाल में मनुष्यों को चाहिए कि वे अपने विरोधो को रष से सुलझायें।
युवा तिन के से ही कुछ गंभीर झगड़े संतोषजनक रूप से उसके
पक्ष में निगायक रहे | इन दंगलों ने कम। दंगे-फिसाद का रूप ग्रहण नहीं किया
क्योकि वह इस तरह की घय्नाएं घटनी असामान्य नहीं थीं। अतणव जिंकन
का स्वामाविक्र व विचित्र विकास ठीक उसी ढंग पर हुआ। यही कारण था कि
बाद में तरह तरह के लोगों से मिलने पर मी न तो उसे भात्मग्लानि ही हुई
न उसमें दूसरों पर अपने को हावी करने की त्ति दी पैदा हुई ।
अपने साथियों में व्यात एक सामान्य रचि का लिकन में पूर्णणया अभाव
था} बहुत से बनवासी ब्ंदूकों का निशाना साधने में अभिरुचि रखते थे।
शिंकन ने बताया कि जब वह भआाठ वर्ष का था, तंत्र उसने एक मुर्गी
पर निशाना साधा था, उसके बाद कमी मी बंदूक नहीं उठायी | बचपन में एक
बार कुछ पक्षियों के निर्थक वध किये जाने पर उसने कड़ा विरोध प्रदर्शित
किया | इससे ভব अत्यंत पीड़ा हुई। यह अनुप्ान लगाया जा सकता है किं
वह सभी तरह की मारकाट से घगा करता था | असहाय ब्यक्तिशें व तित्सहाय
पग्ुओं की महायता लित क्षि प्रकार भवा करता था, इस बारे में भी कई
कथ'एं प्रचलित हैं। यह कहा जाता है कि उस पर अपने आसपास के
बातावरण का गहरा प्रभाव पड़ा ओर इस तरह के उसके कार्यों से लिकन का
भी चहुतों पर प्रभाव पड़ा। आज भी इस आश्चर्यनतक कथा को दुह़ंगया
लाता है कि कैसे उसने फं मे पते एक शरवी की रक्षा करने सं कदी से-कदी
बाघाओं ढी परवाह नदीं की ।
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