भारत - भ्रमण भाग - 3 | Bharat - Bhraman Bhag - 3
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
400
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पटना और वांकीपुएए `; ` ७
पडी पटनेवी, छोरी पटनदेवी ओर हसिमन्दिर ये ४ मन्दिरे मधान हैं।
गुलजारवाग में अफीम के गोदाम और रोमनकायेलिक चर्च के सांमने एक
कवरगाह है, जिसमें पीरक!/सिम द्वरा मारे हुए छोग दफन किए गए थे।
उसके ऊपर पत्थर और ईंटे से वना हुआ एक सम्भ खड़ा है।- दूसरा यूरो-
पियन कवरगाह शहर के पश्चिम है| पश्चिम की शहरतली में शाहअरजानी का,
जो सन १०१२ हिजरी ( सन् १६२२ ई० ) में मरा था, बड़ा दरगाह है। वहां
प्रति वर्ष एक बड़ा मेला होता है। मेला ३ दिनों तक रहता है। उसमें लगभग
५००० मनुष्य आते हैं। दरगाह के पास के करव मे सुम के दिन बहुत से
रोग एकत्र होते हैं और संपर्ण शहर के ताजिये दफन किये जाते हैं। करवले
के पास एक साधु का कनवाया, हुआ.एक ताटाव है । पटने की मसनिदो में
शेरशाह की मसजिद सव से पुरानी है । पीरदहोर कौ दरगाह भी सुसलमानों
: की पूजा का स्थान है, जिसको वने हुए २५० बर्ष हुए। शहर के आस पास
गुखाव चुलाने के लिये गुलाब के बहुतेरे बाग़ लगे हुए हैं|
वांकीपुर में हिन्दुस्तान में सब से बड़ी अफयून की कोठी है, वहां विहार
के १२ जलों से अफयून आता है | पटना कालिज ईंटे से बनी हुईं बहुत
छुन्द्र इमारत है, इसको किसी वाशिन्दे ने अपने रहने के लिये बनवाया.
धा | गवनमेन्ट ने इसको खरीदं कर कचदरी बनाई । सन् १८५७ ई० में
फचहरी दूसरी वनी । सन १८६२ में इसमें कालिज स्थापित हुआ । इनके
अतिरिक्त वांकीपुर में स्धविल कचहरियां, मेडिकुछ कालिज, नार्मल स्कूल,
विहार नेशनल काठिज) कराती अस्पताल, पदलिक छाइवरेरी, इत्वादि
दशनीय वस्तु हें। सिविल कबहरी और अफीम की कोठी के वीच में प्रतिवर्ष
सावन मास में प्रति सोमवार को सोमवारी मेला होता है, जिसमें दहुत सी
चीज़े विक्री के लिये आती हैं और महादेव के मन्दिर में वड़ा उत्सव हीता है।'
: पढने में कारोवार के प्रधान स्थान मारुगंज, मन्छरगंज, करिछा महस्ला,
प्रिस्वाइगंज के साथ चौक, महराजगंज, सादिकपुर, अलावक्स(२, गुलजार
: ध्लाग और फर्नेकगंज हैं ।. पटना श्रं जि में प्रधान तिनारती वाजार और
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