कंवल पूजा | Kanval Poja
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
142
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कवल पूजा ११
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“हु, गुलाब ' जाएँ बयू त्यारक्े परस सू म्है হাজী চ্ই জার 2 জনা
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* नी बौत तपत धौंद, डोल उघाडो ई सवाबे ।”
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* है, काली क्शी री दखी भौई साथव्ा भ्रडी ? केछ रो घम्व देख्यो २”
1
“हाँ देख, स वी देख' ।
जाण क्यू गुलाब न लखायो के वा लुगाई नी मड़द गई वी र सरीर मे
अर भरणाठटी, सरीर मे ग्रेक सुगन नीता म मस्ती, परस मे चिएागारी घौंई। वा,
सहाराणी न काठी पकष्ट र वी सू कुस्ती करण री तेवडली । महाराणी मुखमल रष
नरम गिर्द माय लुटशा लागी। गुलाब री पाखडिया बिखरगी | प्रचाणचक भेर
बाजण सू रामत म घादो पडग्मौ । सग डायडिया दडबडावती पभाय पूणी। डील
उघाडी महाराणी सरम सू भाख्या मींचली ।
(४)
चर पे घुसियोडा गला, दिन ऊपता ई पश्राहू दिसावां में निकल्ग्या। रात
रो ठस्थोडी मून बतक री गेडिया रै सार पाछौ चालण लागो | डागर, दुवारया
हदा थाण छोड गक्ियासू बजार प्रर बजारसू रोई र मारग चराई पर पेट
भराई री जुगाड़ में जुडग्या | बांमण, कोछी लटकाय, पेटियो पक्रावण री घुत मे
परन्भग्यो । घटिया सु धमीडा खाय, धरवादिया, पिरायासिया रौ वलटन वणा।ई।
बैर ऊपर लाली घडा री धरणाट, ठंक्ली रो ठीठाईन फटकारा लग), बाणियौ
बोवणी री विच्ासर ्बाधयोडौ क्तेवौ साथ धात ल्यायौ। बाछल, बजार मे
पत जमाव बिक्णा रो वारी बाघण लामो ' डेरा रा डौदोदार, भ्रमलवाणौ कर
हयान्टो रोरगपाकोक्रियौ। श्रिस्यो रं घरम सु धापियोडी, मदकल भूकनौ,
मांडाणौ मन न मार, बजार री नाड पकड भावां रे भवरजाक्र मे मदग्यौ | वॉन
बैंठोडी बनडी मू छा छटवाय दरपण मार्थ दोरौ व्हेश लागौ। रूपात्ती मदगल में
भाररिया रा सिणुकारा सू मरयोडा काना, पिचकियोडा गाला झर चूची अलियाँ
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