चारुदत्त चरित्र भाषा | Charudatta Charitra Bhasha
श्रेणी : काव्य / Poetry
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
114
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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घारदतचरित्र भाषा। (१७) 5
३ इ सु देव । य यक्षणी मनवम ए ॥
£ एकदिनाकी कहीनजाय। सुमति नाम आएयुनिराय 1१ ५७
‡ पूजति सेनि पक्षयनाय देसी पूत तव शृनिराय ॥
$ निरखि ताहि पूजत मिथ्यात। त मुनिवर इमवचन कहात॥
1 मिद ग्र बन तव, सुनि णिति मतला ।
क्यों पूजति मिध्यात বদ पुत्री स्नाय ॥१५९॥
दकरजोरि নই युनिपाय । तव बोटी परिनि शिरनाय॥
हे खामी ! मै कैंसे करों । पुत्र वियोग पहुतदुस परों 1१९०॥
मेरे गेह पृत्र नहीं कोय । ताते दख मोकां वहु होय ॥
पुत्रशोक मो भयोकुभाय | तब पूजति मिथ्यात जवाय॥ ७५॥६
पिरि बोले तब मुनिवर धीर । पुत्री दुसमति करो सरीर॥ $
तेरे पुत्र होय परधान। ऐ कहुकार गये दिनमान॥१६२॥ ६
तेरे नंद होयसी एव। है पुत्री! मति पूणि कदेब॥ ‡
উ हुकाज विचारें कोय | टव ठर भतमे सोय || ¦
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पूजत सुता देष, निय समयक मिलाय ।
धूर कर्म सब बीसरे, जाप क्रिया सब जाय ॥१६७॥
जिनके जिय समकित नहीं, ते सठ हुए ठुभाय ॥
दा मात्र नहषु क अंत नरक गति जाय ॥६५॥
ध्यावत जे मिध्यातकों, छोड़ आपनो देव।
नरक तनो ते दुख ठे, गीष वास एर ए ॥१६९९॥
तात श्रीमिनविवको, सेशे. मनं वचकाय ।
উন ঘর तेवो सदा, भव मव मर सुखदाय ॥१९७॥
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