बाईस पारीषह | Bais Parisaha Sangrah
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm, धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
754 KB
कुल पष्ठ :
66
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(३७ )
ध्या जोर, दरत अनेक कष्ट क्षमा खदग परकें
इया भंडार भरत षरत सु साध एसे, भवेया
प्रणाम करत त्रेकाल पाय परक ॥२३॥
१६ भ्रन्नानप्ररीषह कप्य ।
सभ्यक् जान प्रमाण, होहि पनि कोय तच्छ
मति । सुनहि जिनेर्वर बेल; याद नहिं रहे ह दय
अति ॥ ज्ञानावरण प्रसाद, बद्धि-नहिं भ्रमरे
जाकी । पूरब भव पिति बन्ध,यहां कछ चलते
न ताकी ॥ इस सहत कष्ट' मुनि ज्ञानक हो हि
'परीषह प्रबजिय । तिहँ जीत प्रीति निजरुप
-सो, खत शद्ध अनभव हिय ॥ २४॥ `
२० मन्ना परीषच छप्पय ॥
भन्ना बर नहिं होय, ता विधा नहिं आव
प्रज्ञा बठ नहिं होय, तहाँ नहिं पढे पढव॥
ख + तलवार (र) हिय + इदय। (२३) দক়ালনুছি।
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