तीर्थ यात्रा निरूपण | Tirth Yatra Nirupan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
408
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)चीधप्रशंसा | ই
यश्चान्य कारयच्छकत्या ताथयात्रा नरख्वर
स्वकीयदव्ययानाफ्यां तंस्प पंणयं चंतुगुणं॥६॥
जा काह साप्रथ्यवान परुष अपन द्रन्य अर् यान
( सवारी ) स दूसरे का यात्रा कराता है उसको चोशना
फल मिलता है ॥ ९ ॥
मातरं पितर जायां श्रातरं सुददं गुरुम् |
यमु दिश्य निमजत अष्टमांश मेत सः ॥७\॥
माता, पिना, भ्राता, स्त्री, गुरु इनमें से जिसका
नास लेकर जो पुरुष तीथ्थमें स्नान करता है उसको अछ-
मांवा फर मिलता हे ॥ ७॥
तीथोपवासः कतन्यः शिरसो मुण्डनं तथा ।
यदाह ताथप्राप्रः स्यत्तदह्नः पवेवासर् ॥<-५
उपवासः. प्रकतव्यः पातङह्न श्रद्द भवत्\९।
जम [दन ताथ वड उससपाद्ल्द्न ताथपवास्
आर घुण्डल करना चाहमस भार ताथप्रापष्त डक द्न
आर कर ॥ ८॥ ९॥ ह
पूत्रमावाहनं तीर्थे मुण्डने तदनन्तरम ।
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