संस्कृत नाटककार | Sanskrit Natakakar

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Sanskrit Natakakar  by कान्ति किशोर भरतिया - Kanti Kishor Bhartia

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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~ १० ~ ভী জারা ই নি विदनिया कै सहस्र वेष के सतत सम्पक एव उनके द्वारा पददलित क्रने के अनेक श्रयत्ना ¶ उपरान्त मी इस दैवी भाया कौ स्वतत्र प्रयति में पूण- रूपेण अवराध सम्भव नही हा सका है। इस प्रकार प्रतिभासम्पन्न लेखक ने ससार वे प्राचीनतम ग्रथ ऋग्वेद से लेकर आधुनिक काल तक के नाटकुकारो का सक्षिप्त परिचय दिया है। साथ ही साथ काव्य के आय अगो पर पडे हुए इस साहित्य विशेष के परिणामा का भी ग्रथ में सक्षेप से समावेश क्या गया है। मे आदा करता हू कि यह ग्रथ सामाय रूप से समस्त साहित्य प्रेमी भाई- बहिनो के हेतु तथा विश्येषत विद्यार्यी-समुदाय के लिए यथेप्ट लाभकारी सिद्ध होगा तथा चिरकाल तक साहित्य रसिक इससे आनद ग्रहण करते रहेंगे। अध्यक्ष सस्कृत विभाग (डा०) हरिदत्त शास्नी दयानद एग्टो वैरिक कॉलेज, एम० ए०, पी-एच० डी °, एकादगतीय बानपुर




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