सूनी घाटी का गीत | Soonii Ghaatii Kaa Geet

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Book Image : सूनी घाटी का गीत  - Soonii Ghaatii Kaa Geet

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जाड़े की भोर का शुक्र जाड़े की सद, ठिठुरी भोर का शुक्र, राख की लहराती सी चादरों पर, टिमटिमाता नन्‍हा सा अंगार... वऱॉली कंदराओं में, हिमप्रिया के साथ, विता रात, उठा, चला, गुलार्वा नयन मीजता, मद्धम-मद्धम पवन... देखा, गत रात्रि कंदराओं वाला रिमरिमाता सा वह चिराग... फिर अकस्मात्‌ मुस्कुरा, कि श्रे यहं कैमे- “फेक मार कर, बुझा दिया |




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