नित्यस्त्रोत पाठ संग्रह | Nitya Strot Path Sangrah

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Nitya Strot Path Sangrah by राजमति माता जी - Rajamati Mata Ji

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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नित्य स्तोत्र पूना पठ संग्रह बत्तीस इन्द्र, तिथिदेवता, आर दिक्कन्याएं ओर दश दिक्पाल- ये सब देवगण तुम्हारा मंगल करें । ये सर्वीधिध-ऋद्धयः सुतप्सो वृद्धिंगता:पंच ये, ये चाष्टांग-महा-निमित्त-कुशला-येऽष्टा-विधाश्चारणाः । पंचज्ञान-धरास्त्रयोइषि बलिनो ये बुद्धि ऋद्धीश्वरा:, सप्तैते सकलार्चिता मणभृत: कुर्वन्तु ते मम्अलम्‌।।५।। जो उत्तम तप से प्राप्त हुई पांच सर्वषधि- ऋद्धियों के स्वामी हैं, अष्टांग महानिमित्तों में कुशल हैं, आठ चारण ऋद्धियों के घारी हैं, पाँच प्रकार के ज्ञान से सम्पन्न है, तीन प्रकार के बल से युक्त हैं, बुद्धि आदि सात प्रकार की ऋद्धियों के अधिपति हैं-- वे जगतपूज्य गणधर देव तुम्हारा मंगल करें। कैलासे वृषभस्य निर्वृति मही वीरस्य पावापुरे, चम्पायां क्सुपूज्य-सज्जिनपतेः सम्मेद-शैलेऽ्हताम्‌ । । शेषाणामपि चोर्जयन्त-शिखरे ने मीष्वरस्यार्हतो, निर्वाणावनयः प्रसिद्धविभवाः कुर्वन्तु ते मङ्गलम्‌ । ।६।। ऋषभ की निर्वाण भूमि कैलाश, वीर की मुक्ति- भूमि पावापुर, वासुपूज्य की निर्वाण- भूमि चम्पापुरी, नेमीश्वर की मुक्ति- भूमि ऊर्ज्जयन्त (गिरनार) ओर शेष २० জিলী का निर्वाण क्षेत्र सम्भेदशिखर है । वे विभवसम्पन्न निर्वाण भूमियां तुम्हारा मंगल करें । ज्योति-व्यन्तर-भावनाऽमर-गृहे मेरौ कूलाद्रौ तथा, जम्बू-शाल्मलि-चैत्यशालिषु तथा वक्षार-रूप्याद्रिषु । । इष्वाकारमिरौ च कुण्डलनमेै द्वीपे चर नन्दीश्वरे, शैले ये मनुजोत्तरे जिनगृहाः कुर्वन्तु ते मङ्खलम्‌ । ।७ । ।




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