अस्सी टोला सोना | Assi Tola Sona

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Assi Tola Sona by ईश्वर शर्मा - Ishwar Sharma

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about ईश्वर शर्मा - Ishwar Sharma

Add Infomation AboutIshwar Sharma

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
गौरी : ओहो, क्या आफत है ! शंकर : चूआ : गौरी : हूँ बुझा: जेट जाती है। शंकर ऊपर रजाई डाल देता है । यूआजी को कुछ मत कहना। बायी शोर के दरवाजे से निकल जाता है। शंकर मः (प्रवेश) शंकर ! *''कहाँ चला गया सवेरे-सवेरे ? * 'हैं, बहु अभी तक भी सो रही है ! वाह ! कैसा समाँ आया है ! हमारा भी तो जमाना था। पहले दिनों में ससुराल में सोती तक न थीं । और यह खर्राठे ले रही है। बहु'*'ओ ! बहू 1 जगाती है। । छी ! बेहोशी की नीद अच्छी नही । कुछ संभाल चाहिए। हमारा भी तो जमाना था | क्या मजाल जो वेवकक्‍त आँख लग जाए। उठो, मुंह-हाथ धो লী। गौरी शरमाकर उठ बैठती है और बुझा के पाँव छूती है। फिर बैठ जाती है। : सुहागन हो । उठो, बहुत दिन चढ़ आया है। मूँह- शंकर: हाधधोलो। कोई मिलनेको हीञा जात्ताहै। (सहसा लिफाफा देखकर, उठाकर, उसमे क्षाक कर) अंगूर ? “यह कौन लाया है ? ** यह अंगूर कौन लाया है ?** शंकर शकर ? (बायीं श्रोर के कमरे से मिकलकर ) जी । अस्सी तोला सोना () ७




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now