अस्सी टोला सोना | Assi Tola Sona
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
185
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)गौरी : ओहो, क्या आफत है !
शंकर :
चूआ :
गौरी : हूँ
बुझा:
जेट जाती है। शंकर ऊपर रजाई डाल
देता है ।
यूआजी को कुछ मत कहना।
बायी शोर के दरवाजे से निकल जाता
है।
शंकर मः (प्रवेश) शंकर ! *''कहाँ चला गया
सवेरे-सवेरे ? * 'हैं, बहु अभी तक भी सो रही है !
वाह ! कैसा समाँ आया है ! हमारा भी तो जमाना
था। पहले दिनों में ससुराल में सोती तक न थीं ।
और यह खर्राठे ले रही है। बहु'*'ओ ! बहू 1
जगाती है।
।
छी ! बेहोशी की नीद अच्छी नही । कुछ संभाल
चाहिए। हमारा भी तो जमाना था | क्या मजाल
जो वेवकक्त आँख लग जाए। उठो, मुंह-हाथ धो
লী।
गौरी शरमाकर उठ बैठती है और बुझा
के पाँव छूती है। फिर बैठ जाती है।
: सुहागन हो । उठो, बहुत दिन चढ़ आया है। मूँह-
शंकर:
हाधधोलो। कोई मिलनेको हीञा जात्ताहै।
(सहसा लिफाफा देखकर, उठाकर, उसमे क्षाक
कर) अंगूर ? “यह कौन लाया है ? ** यह अंगूर
कौन लाया है ?** शंकर शकर ?
(बायीं श्रोर के कमरे से मिकलकर ) जी ।
अस्सी तोला सोना () ७
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