सूफी प्रेमाख्यानक काव्यों में नारी - स्वरूप - परिकल्पना एवं स्थान | Soofi Premakhyanak Kavyon Men Nari - Swaroop - Parikalpana Evm Sthan

लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
21 MB
कुल पष्ठ :
371
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)उपनायिका :
আগা কাচ আনার কার চার 1 আপ ৪
पह पर्व व्याहता होती है पति द्वारा प्रेमिका-संयोग के पश्चात्
पह प्रा षित-पातिका छूप में आती हे, अर वियोग विहवल होकर एमस्त
काव्य को अपने वियोग रत से रप्नीतिक्त करती है। काव्य में उपनायिका
কা चरित्र नायिका से अर्धिक उत्कष्ट है।
अन्य स्त्री पाञ्च
দানি ০০9 খনার भ प थम सनः चिकि मः शितः भोदि
इस वर्गोकिरण के अन्तर्गत दो प्रकार के नारी पात्र काव्य में वर्णित
हैं। प्रधम प्रकार के अन्तर्गत नायिकां कमी माताये, तास इत्यादि।
दूसरे के अन्तर्गत कथा प्रवाह कृम को बदूानेके लिर, कधा के घ्टना তত্ী কী;
नया सूपलदेन के तिश कवि नायिका की सखी, दूती, धाय, मालिन् दासी
अदि गौड़ नारी पात्रों की सृष्टि करता है। ये सभी नारी अनेक रूप
ঘীজনা ঠা লিজনিল ह।
असत् पात्र :
পারল) পারা ওরস ও আরা আজ উট
इन पात्रों को सृष्टि कवि नायिका के सतीत्व, ददता, क्रोष्यु '
एके पनिष्ठता आदि के आदर्श रूप को उत्कर्ष पर लाने के लिए करता है]नाथिका
भारतीय नारी के उच्च शिरत्ए्पर, इन्हीं पात्रों को कटिलता से आती न
हो गई। শ্রী काव्य भी नारी ततीत्व की आलोक शिखा बन गई।
इनके अन्तर्गत दासी दूती अदि नारी पात्र आती है।
পিস ति तक भध জি ও भध प গা ও হা भ कि जि मः कः से शनि जि व, जा आ, भन क पी णी मी म জপ বা ও का प कोनी আর, যার थि भादः जनः भः पिकाः शद न भभा, जनि
।- जायत्ती गरन्धावनी पछ 1५9, छ. 640
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