उत्तर प्रदेश में महिलाओं की स्थिति का एक समाज शास्त्रीय अध्ययन | Uttar Pradesh Men Mahilaon Ki Sthiti Ka Ek Samaj Shastriy Adhyayan

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Uttar Pradesh Men Mahilaon Ki Sthiti Ka Ek Samaj Shastriy Adhyayan by अलका सिंह - Alaka Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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नगरीकरण सैधव कालीन सभ्यता की प्रमुख विशेषता थी। यह विकसित एव जटिल आर्थिक सगठन का परिचायक है।' कृषि पशुपालन के साथ शिल्प और व्यापार सिन्धु सभ्यता के प्रमुख आधार थे। जिस समाज मे व्यापार तथा सुगठित राजतत्र के लक्षण परिलक्षित हो वहाँ मात-सत्ता का होना एक विरोधाभास से अधिक कुछ नही। इसलिए तमाम साक्ष्यो के आधार पर यह माना जा सकता है कि सैधव कालीन सभ्यता के धार्मिक एव पारिवारिक पक्ष पर मातृत्व की प्रधानता थी किन्तु सैधव सभ्यता के सामाजिक तथा राजनीतिक पक्ष मे यह प्रधानता समान रुप से थी यह प्रश्न अनुत्तरित है। व्यापार एक उन्नत सामाजिक सगठन का परिचायक है किन्तु साथ ही यह समाज मे श्रम विभाजन दास प्रथा निचले स्तर पर नारी श्रम के शोषण तथा उच्च स्तर पर नारी अकर्मन्यता को इगित करता है! फेयर सर्विस ने लिखा है कि नगरीय समाज मे यथा स्थिति वनाये रखने के लिए सतुलन आवश्यक है किन्तु सभ्यता की जटिलता तथा वाहय परिस्थितियो के कारण यह सतुलन বিহার जाता है। इस सतुलन को ही मार्क्स ने उत्पादन के साधनो से जोडकर देखा है। माक््सवादी दर्शन ने नारी की स्थिति को उत्पादन सम्बधो मे परिवर्तन की प्रक्रिया से जोडकर देखा है। अपने विश्लेषणो मे उन्होने नारी जीवन तथा आर्थिक क्षेत्र के अन्तरसम्बच्धो की विशद व्याख्या की है। डन समस्त अध्ययनो के आधार पर हम सिधु कालीन समाज के मातुसत्तात्मक प्रधानता को सिफं धार्मिक तथा पारिवारिक क्षेत्र तक ही सीमित मान सकते है। जहाँ तक आर्थिक एव राजनीतिक क्षेत्र का प्रश्न है उसमे महिलाओ की भागीदारी सुनिश्चित करना अत्यत कठिन है। 1 पाण्डेय जगनारायण सिन्धु घाटी की सम्यता पृष्ठ 46, प्रमानिक पब्लिकेशन इलाहाबाद | 2 पाण्डेय जगनारायण सिन्धु घाटी की सभ्यता पृष्ठ 49 | 3 की 421




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