क्या करें-२ | Kya Karein-2
श्रेणी : कहानियाँ / Stories, साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
322
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)आदीक्षा परिष्ठेद
मुद़कर अपने घर में ठाखिल हुआ श्रो. दर्याप्त किया कि क्या
मेरी लड़कियाँ थर में हैं ? मुझे बताया गंगा कि वे किसी
महफिल में गई थी, जहाँ उन्हें बड़ा आनन्द आया और अब
जे सो रही हैं । ' '
दूसरे दिन सवेरे में यह जातने के लिए कि उस बेचारी
ज्ड़की का क्या हुआ, कोतवाली जाने वाला था| मैं जल्दी ही
जाने के लिए तैयार हुआ ! इतने में एक आदमी मुमसे 'मिलने
आया | उच्च वर्ण में अनेकों मनुष्य अभागे होते हैं, जो अपनी
छुबलताओं के कारण गरीबी की हालत में ' ओ पढ़ते हैं और
जिनकी दशा कमी ता सम्हल जाती दै जर कभी फिर बिगड़
जाती है | यह उसी श्रेणी का मलुंष्य था। में उसे तीन धर्ष से
जानता था, और इन ती वपाँ मे उसे कर वार श्रना सर्वस
यहाँ तक कि अपने कपड़े भो बेचने पंड़े । वह रातं को आजकल
जनोफा-गृह भे बिताता और दिन को मेरे यहाँ रहता में बाहर
निकलने दी वाला था कि वह मुझे मिला 'और मैं कुछ कहूँ
इससे पहले हीं कल रात को जिनोफ-पृहद में हुई घटना का वर्णन
करने लगा | अभी उसकी बात आधी भी न हो पाई थीं कि वह
चूहा आदमी, जिसने ज़माने के बहुत-से उतार-चढाव खे थे और
जिसने खुद अपनो जिन्दगी में बहुत-कुछ दु.ख भोगा था, ' फूट-
फूटकर रोने लगा । चष अधिक न बोल सका और उसने अपना
সু
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