क्या करें-२ | Kya Karein-2

Kya Karein-2 by

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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आदीक्षा परिष्ठेद मुद़कर अपने घर में ठाखिल हुआ श्रो. दर्याप्त किया कि क्या मेरी लड़कियाँ थर में हैं ? मुझे बताया गंगा कि वे किसी महफिल में गई थी, जहाँ उन्हें बड़ा आनन्द आया और अब जे सो रही हैं । ' ' दूसरे दिन सवेरे में यह जातने के लिए कि उस बेचारी ज्ड़की का क्या हुआ, कोतवाली जाने वाला था| मैं जल्दी ही जाने के लिए तैयार हुआ ! इतने में एक आदमी मुमसे 'मिलने आया | उच्च वर्ण में अनेकों मनुष्य अभागे होते हैं, जो अपनी छुबलताओं के कारण गरीबी की हालत में ' ओ पढ़ते हैं और जिनकी दशा कमी ता सम्हल जाती दै जर कभी फिर बिगड़ जाती है | यह उसी श्रेणी का मलुंष्य था। में उसे तीन धर्ष से जानता था, और इन ती वपाँ मे उसे कर वार श्रना सर्वस यहाँ तक कि अपने कपड़े भो बेचने पंड़े । वह रातं को आजकल जनोफा-गृह भे बिताता और दिन को मेरे यहाँ रहता में बाहर निकलने दी वाला था कि वह मुझे मिला 'और मैं कुछ कहूँ इससे पहले हीं कल रात को जिनोफ-पृहद में हुई घटना का वर्णन करने लगा | अभी उसकी बात आधी भी न हो पाई थीं कि वह चूहा आदमी, जिसने ज़माने के बहुत-से उतार-चढाव खे थे और जिसने खुद अपनो जिन्दगी में बहुत-कुछ दु.ख भोगा था, ' फूट- फूटकर रोने लगा । चष अधिक न बोल सका और उसने अपना সু




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