गोल्डन इतिहास भारतवर्ष | Golden Itihas Bharatvarsh

Golden Itihas Bharatvarsh by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भूगोल का इतिहास पर प्रभाव १३ पर्याप् अवकाश मिल जाता था | इस अवकाश का परिणाम यह हुआ कि लोग मानसिक तथा श्रासिक उच्चति और साहित्य की ओर अ्रधिक संलग्न रहे और यहाँ भारतीय दर्शन (फ़िलासफी/ ने श्रधिक उनति की | (३) इस उपजाऊपन का एक परिणाम यह हुआ कि यहाँ के निवा- सियों की जीवन की सब आवश्यकताएँ सुगमता से पूरी हो जाती थीं इसलिये उनमें दूसरे देशों को जीतने का विचार उत्तच्च न हुआ | हिन्दुओं, ने दुसरे देशों मे भपनी सभ्यता फेलाई गौर बस्तियौ बसाई, परन्तु दे विजेता (पल्‌) नहीं बने 1 ২৮৮১৮ 17৮? 28. (४) क्योंकि पंजाब इस मैदान के पश्चिम में और बंगाल पूर्व में स्थित है, इसलिए पंजाब आक्रमण॒कारियों की लूट का श्रधिक॑ लक्ष्य बना रहा और बंगाल प्रायः सुरक्षित रहा । इसलिए पंजाब विद्या तथाः सभ्यता के विचार से चिरक्ाल् तक अन्य प्रान्तों से पीछे रहा है। परन्तु यहाँ के निवासी अधिक वीर ओर युद्ध-प्रिय रहे हैं । (५) इसके अतिरिक्त क्योंकि पंजाब के दक्षिण में राजस्थान का ऊसर तथा सूखा मरस्थल है, इस कारण आक्रम्णकारियों को पंजाब से आगे बढ़ने के लिये देहली के पास से गुज़रना पड़ता था। यही कारण है कि देहली के समीप के नगर पा[पत, करनाल, तरावड़ी और कुरुक्षेत्र रणभूमियाँ बने | ६-००: (१ “89%. , (६) राजस्थान के मरुल्थल ने भी भारतवर्ष के इतिहास सें एक विशेष भाग लिया है। आक्रमणकतो इस ऊसर भूमि को विजय करना व्यर्थ समझते थे और यदि किसी विदेशी आक्रमणकता ने इसके किसी भांग पर अधिकार कर भी लिया तो वह देर तक न रहा। अतः यहाँ राजपूतों ने कई स्वतन्त्र राज्य स्थापित कर लिये जिनमें से कह अब तक विद्यमान हैं और अपनी ग्राच्चीच सभ्यता को स्थिर रखे हुए हैं । ३, दक्षिण का प्रभाव (101७ 16००७) (१) दक्षिण (दक्खन) के उत्तर मे विन्ध्याचल श्रौर सतपुड़ा के पर्वत हैं, जो जंगलो से ढके हुए हैं। इनको पार करना चहुत कठिन था | यही कारण है कि दक्षिण, उत्तरी भारत से प्रथक रहा और उसने कु १४५. ^ ४ 3 5)




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