गनेशाचार्य जीवन चरिता | Ganeshacharya Jivan-charitra

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Ganeshacharya Jivan-charitra by सुशील कुमार - Susheel Kumar

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about सुशील कुमार - Susheel Kumar

Add Infomation AboutSusheel Kumar

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
के कहें जा सकते हैं और उनेका उल्लेख अ्रन्तिम तीर्वकर के अ्रन्तिम समय में बिन : पूछे होना तींर्थकरो के श्राशय की श्रभिव्यक्ति भलीभाति स्पष्ट हो. जाती है-वह यह है कि निम्नन्थश्रमणसस्क्ृति' में शुद्ध प्राचार-विचार को मह्त्व दियां गया है, न कि सख्या को और न ग्राचार-विचा२-शून्य संगठन को ।' मानो इसी वात का द्योतन करने के लिए गर्ग नाम के आचार्य का वर्णन बिना किसी के प्रथ्न पर उल्लेख किया गया है । ' ऐसे तो यह वात मगलपाठ के शब्दों से भी भलीभाति व्यक्त ही जाती है | जैसे कि अ्रिहत सरण पवज्जामि, सिद्ध सरणं पवज्जामि, साहू 'सरण प्रवज्ञामि, केवली “पन्‍नतें धम्म॑ सरण पवज्जामि अर्थात्‌ अरि- ই सिद्ध, साधु शौर धर्म की शरण बताई गई है, न कि संगठन की शरण | ' यदि निग्र न्य-श्रमणसम्करृति मे ग्राचार-विचार-शन्य संगटन को ही महत्त्द दिया होता तो “मंघं शरण गच्छामि ” इंस तरह का पाठ जसा बौद्ध ग्रन्‍्थों मे है, वसा ,इस मगलपाठ में भी प्रयोग होता | लेकिन वीतराग परम्परा से श्राचार-विचार-सम्पन्त सघ, संगठन एवं साधु-संस्था को महत्त्व दिग्रा गया है। यह वात गगगाचार्य के चरिता- नुवाद वर्णन से सुम्पप्ट है! उक्त सकेत्त से पाठकगण सहज ही यह्‌ समक पायेगे कि गर्गाचार्य के चरित्र के साथ आचार्य श्री गणेशनालजी म सा. का चरित्र कितना साम्य रखता है । एक दृष्टि से देखा' जाये तो कई वर्ते अधिक विशिष्टता रखती हैं। श्रनुमानत. गर्माचायंजी ने जितने मुनियों का त्याग' क्रिया उससे भी अंधिक संस्या को छोड़ने का সন, चरिन्रनायक को श्राया है। उन्होंने बाथद सशक्त श्रवस्या में यह काय किया होगा लेकिन चरिव्रनायक ने तो सेगाक्रति श्रवस्या मे भी उस प्रकार की नात्ति क्रान्ति का गंभीर समाधि भावना के साय । पदम उठाया । जहां ীবাঙ্গান্ন स्थिति भें मानव श्रपने सेयम का भीं वन्यान नहां रस पाता वहां জানায় श्री गणेशलालजी भ सा. ने वृद्धा- वम्घा और टाय्टरी को भी आश्चर्य मे ठालने वाले भर्यकर रोग का प्रादर्भाव रूप भ्सातावेदनीय में भी थरीर के ध्यान को छोट कर संगम का पूरा ध्यान रखते हुए सारे समाज के सम्मान को पीछ पीछे खाकर अपमान के कंटीले मार्ग को सामने रखते हुए লন লীবক্ষল ही परमर। को सुरक्षित रफपने बाली निम्न स्ध क्षमणमम्कृति के सर | श




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now