राजनीति प्रवेशिका | Raajniti Praveshikaa
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
110
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)राज्य क्या हें ६
साम्य के प्रति अपने विरोधियों की स्वीकृति उन्हें खरीदनी पड़ती हे ।
अधिकार पाने के बाद ऐसा अवसर कम नहोगा जब कि वे यह न
महसूस करं कि उह असली संतोष तभी मिलेगा जब कि अपने से
अलग लोगों को भी मिला लिया जाय | अपने विरोधी के अधिकार
के समय अपने अल्ग रखे जाने के कष्ट का वे अनुभव कर चुके
তান हं । इसीलिए नए साम्य में उन्हें सबकी सहमति उचित मालूम
पडती हं । किन्तु किसी राज्य के कनूनों का अध्ययन करनेपर
हरेक को मालूम हो जायगा कि राज्य के नाम पर काम करने वाले
वर्ग की माँगों का ही उनसे संबंध है। इंगलेन्ड में श्रमिक संव
के कानन का, अमेरिका में साभेदारी की स्वतन्त्रता का, प्रशा
के कृषि सम्बंधी कानन का इतिहास, ये सब इस बात के उदाहरण
हैं कि आर्थिक व्यवस्था पर जिस वर्ग का अधिकार था, उसने अपन
हितों की रक्षा के लिए राज्य से वैसा कानूनी अनुशासन जारी
करवा दिया।
हम यह नहीं कहते कि शासक वर्ग में न्याय तथा उचित
रूप से काम करने की इच्छा ही नहीं होती । किन्तु, भिन्न प्रकार से
रहने वाले आदमो की विचारधारा भी भिन्न होती है | इसलिए
जब कोई वर्ग समुदाय के हित में आवश्यक कानूनी कत्तंव्यों के
निर्धारित करनो की समस्या पर विचार करता हैं तो उसके मन के
भीतर जो अद्धं-चेतन विचार बेठा रहता हू, वास्तव में उसी के
অন্ন वह् न्याय तथा अच्छाई-बुराई के सम्बन्ध में निश्चय कर
पाता हैं । अमीर आदमी सुख को खरीदने में सम्पत्ति की शक्ति
का पूरा अनुमान कभी नहीं लगा पाता। ध।मिंक व्यक्ति नेतिकता
के ऊपर धार्मिक विश्वास के प्रभाव का आवश्यकता से अधिक
अनुमान करते हैँ ।विद्वान् व्यक्ति पांडित्य और बुद्धिमता का
आवश्यकता से अधिक सम्बन्ध समझ लेते हें। हमारे अनुभव हमको
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