सुलतान महमूद गज़नवी | Sultan Mahmood Gajanavi

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Sultan Mahmood Gajanavi by मुहम्मद हवीब - Mohammed Havib

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अध्याय 1 दसवी सदी मे मुस्लिम जगत जान स्टुअट मिल का बहना है . जितने भी नीति विषयक सिंदात और घामिव' मत है लगभग व सभी अपन प्रवतवां तथा তন সবববা के शिष्या व लिए अथवत्ता भौर आजस्विता स भरपूर है । इन मिद्धान्ता मौर भता का नप्ट न होते वाली एवं शक्ित के रूप म॑ तभी तब महसूस किया जाता रहा है और शायद तव तव हौ उमर व्यापकतम লনা वे' रूप म प्रदर्शित किया जाता रहा है जब तब अय मता ये! ऊपर इनका आधिपत्य कायम करन व लिए सघप बना रहता है । अन्ततोगत्वा यह या तो अपन वा स्थापित कर लेता है और सामाय मत बन जाता है अथवा इसवी प्रगति रुक जाती है, जा आधारभूमि यह प्राप्त वर चुवा होता है उस पर जपना अधिकार ता बनाये रखता है. पर उस दायर से बाहर उमा प्रसार नी टा पाता। इमी ममयस प्राय उक्त सिद्धान्त का जीवत হাবিল না ভার মান্য আশা ই 1 वारण यह्‌ हदि जब यह्‌पुःतनीमतवारूप जे लता है और इस सक्रियता वी बजाय निष्क्रियता बे साथ ग्रहण विया जाता है जब सम्बद्ध मता स उत्पन प्रश्ना पर इसी जीवनटायी !क्तिया वो पहल जैसी तीद़ता वे साथ इस्तमाल करत के लिए मस्तिष्क वी बोई विवशता नहीं रहती तो इसदे प्रतिपालता बा छाड्बर नेप सभी विश्वासा सो भूवन अथवा इसको एक कुठित और जड़ सहमति दन वी उत्तरात्तर प्रवत्ति पैदा होती है। ऐसा लगता है मानों उस अपनी चतना मे उपलध करत वी आवश्यकता स पर किसी आस्था वा स्वीकार क्या লা হা তা। आध्यात्मिव उत्साह वा यह तियलता विभिन्‍न चरणा मं मभ धर्मौ म दवौ जा सबती है और 9वी सदी म अचासी खलीफाजा व पतन स ले+र मगाला द्वारा मुस्लिम एडिया वी বল तथा । उवी सदी म रहम्यवाद बे विवाग न्‌ दौरान दे समूच इस्लामी इतिहास म दखी जा सक्‍तो है। यह वह दौर था जब নিশান,




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