सदन शिक्षण एक युग | Sadan Shikshan Ek Yug

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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~ 'सहिला शिक्षा सदन ने गत १२ वर्षों में महिलाओ की शिक्षा का जो अपूर्व कार्य किया है वह सराहतीय है। भाशा है, यह सदन अपने उदेश्य की पूति के किए निरन्तर प्रयतसौल रहेगा । मेरी कामना है कि सदन की १२ वी वर्षगाठ पर प्रकानित होनेवाला स्मरण-गरन्य सदन के गौरव के अनुरूप हो । --गुलजारीलाल नन्दा महिका शिक्षा सदत' ते वालको व स्त्रियों की शिक्षा के क्षेत्र में जो प्रगति गत १२ वर्षों में की है उसके लिए हादिक वधाई। राज्य सरकार का यह कत्तंव्य हैं कि आपकी जैसी सस्थाओ को कार्यकर्त्ता व अर्थ-सवधी सुविधाए देकर पूर्णतया प्रोत्साहित करे। इस दिशा मे निजी प्रयास अधिकाशत सरकार के लिए भाग-दर्शन का काम करते है। राष्ट्रीय शिक्षा को कार्यान्वित करने में वालको के अपने व उनकी माताओ के श्रम की आवश्यकता हे। आज नारियो का भी सरकारें बनाने में उतना ही महत्वपूर्ण योग है जितना कि पुरूषो का, क्योकि मतदाताओ को सस्या में वे पुरषों के समकेक्ष हे। सामाजिक विज्ञान वे सेवा- क्षेत्र मे उनकी वाणी की महत्ता हं । -पदट्टामि सीतारामेया यह जानकर प्रसन्नता हुई कि 'महिला रिक्षा सदन हटृण्डी, अपने उपयोगी अस्तित्व के वारह्‌ वं नघ ही पूणं कर ठेगा । सस्था की स्थापना उपाध्याय-दम्पती ने की, जो अनेक वर्पो तक महात्मा गाधी के साथ रहकर महरा शिक्षा सवधी उनकं विचारो को समञ्च सके, जिनके अनुसार बालिकाए पत्नी, माता तया नागरिक के रूप मे, राष्ट्रनिर्माण के महान्‌ कार्य में पुरुषो के समान ही उपयोगी सिद्ध हो सके। सस्था नारीत्व के पुरातन भारतीय आदर्गो तथा महिलामो व वच्चों की आधुनिकतम पाश्चात्य रिक्षा-परणाी के समन्वय का प्रयत्न करती हँ । साहित्यिक शिक्षा के अत्तिखित सस्था का ध्येय महिलाओ को, विभिन्न कछाओ तथा उद्योगो की शिक्षा देकर उनके व्यक्तित्व का विकास करना है। स्वयसेवा तथा सहकारिता के गुणो की शिक्षा वालिकाओ को आरभसे ही दी नाती है, ताकि सस्या छोडने के परचात्‌ भी सामाजिक जीवन में वे अपना समुचित स्थान ग्रहण कर सके। नगर के कोलाहल से दूर, अत्यन्त सुरम्य वातावरण में स्थित, इस आश्रमतुल्य सस्था मे प्रतिवपं भारत के कोने-कोने से आकर बच्चे शिक्षा-छाभ प्राप्त करते है। विश्वास है कि 'सदन', जिसके वहुहदेशीय विद्यालय के लिए निजी भवन का निर्माण हो रहा है, सख्या व सम्मान दोनो ही दृष्टियो से ऊचा उठेगा और प्रतिवर्ष ऐसी कुआल युवतिया प्रदान करने में सहायक सिद्ध होगा, जो देश के नवनिर्माण में महत्वपूर्ण योग दे सके। ---औ० ३० पण्डित मुरय आयुक्त, दिल्ली १७




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