फिरदौसी शाहनामा | Firdausi Shahnama

Firdausi Shahnama by

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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नम न जीवन और १४५ यह शाहनामा मेरे पास ही रह गया । आज उसी को पढ़कर, विभि न काव्य- खण्डो का अनुवाद करते हुए, मैं सोच रही थी कि रियासत के वितने चेहरे है और कलाकार की नियति कितनी एक जसी है जिसमे दद के पैबद ही बैबाद है। ज्ञाहनामा की विदिष्टताए विशालता और व्यापकता की दष्टि से 'शाहनामा' की तुलना होमर के 'इलियड' और महर्षि व्यास के महाभारत से की जा सकती है । तीनों में वहीं पाच भाव विद्यमान है, जो मानवीय उच्च भाव जगाने और साहित्य को अमर बनाने मे सहयोग देते है । प्रेम, घृणा, निष्ठा, ईर्ष्या एवं बलिदान का समदय 'शाहनामा' है । शाहुनामा को केवल इतिहास कहकर मुर्दा तारीखो का घटनाकम क़रार देना उचित नही है वयोककि 'शाहनामा' मात- वीय सरोकारो, भावनाओ और उसकी टन राहट की जीती जागती घडकन है, जिसमे एक तरफ बुराई 'जहाक शाह' के रूप म॑ है, तो अच्छाई 'फरीदुन शाह की शबल मे, नेकी की सुरत्ति सियावुश और निराशा की तस्वीर फरूद के 'रग में एक ओर तुरानी पहलवान पी रान सज्जनता की कसौटी है, तो दूसरी तरफ बहादुरी भर हमदर्दी का प्रतीक ईरानी पहलवान रुस्तम है । शाहनामा' कहने को एक महायुद्ध की महागाथा है, मगर वस्तुत यह एक ऐसी इसानी किताब है, जिसम वर्णित है वि हालात के गलियारों से गुजरते गुजरते कंसे कैसे इसान रंग बदलता है । एक जरबा किसी इसान के दिली दिमाग सम वर्षों तक उसी तीव्रता के साथ विद्यमान नहूं। रह सकता है बयोकि अ!सपास घटने बाली घटनाएं उस ज़दबे को घुघला बनाने के लिए तत्पर रहती हूं जि हु रोकना इसान वे हाथ मे नही है क्योवि वे घटती ही किड्दी दूसर कारणों से है। इसलिए फिरदौसी केवल उपदेश नहीं देते हैं, बल्कि परिवेश और हालात में इसान की वमज़ोरी को बडी सूदमता से दर्शाते हुए उसका तक भी सामने रखते है। दूसरी बात जोमनों वैज्ञानिक दृष्टि से 'शाहनामा' मे महत्त्वपुण है, वह है इसान का इसान से मोहब्बत करना । ईरान व तुरान की दुश्मनी पुरानी




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