भारतीय शासन | Bharatiy Shasan

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Bharatiy Shasan by रामनरेश त्रिवेदी - Ramnaresh Trivedi

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about रामनरेश त्रिवेदी - Ramnaresh Trivedi

Add Infomation AboutRamnaresh Trivedi

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
संविधान की सुख्य विशेषत -& विदेशी समलो मे, भारत-संष शै सवोष सत्ता, कमः करती व्यक्ति, सस्था या सत्ता भौर किसी भी-भन्य देश या सत्ता के कानूनी नियन्त्रण से पूर्णत स्वतन्त्र है । জীন খা के इस नवीन संविधान द्वारा भारत পল प्रमुल-सम्पन्‍्न' घोषित करना इसलिए आवश्यक था कि सन्‌ १६४७ ई० के पूरे, राज्य के अति आवश्यक तत्त्व सावभामिक्ता' प्राप्त नही रहने के कारण, भारत को राज्य की सजा नहीं दी जा सस्ती थी। भारत पर ब्रिटिश शासन के नित्रत्नण की समाएि को घोषित करने के अतिरिक्क, इस घोषणा का यह अमिप्राय था कि स्वाधीन भारत दी भौगोलिक सीमा के अन्तर्गत रहनेवाला कोई व्यि, कोई सस्या या समुदाय भारत-सरकार के आदेशों तथा नियमों की अवहैलना नहीं कर समता हैं । इ सम्बन्य मे भारत द्वारा रा्रमडल (00770707681) ০6 320005 ), कौ सदस्यता सीर मरे जनि कतेक आलतेचना की जानी ह । आलोच का कहना हैं कि राष्ट्रढलल की सदस्वता के करण লাগে সী লী বগলা में बाधा पहुँचनी है । पर वान ऐसी नही है । रा््रमडल की सदस्यता भारत पर जबरदस्ती लादौ नदौ मई है । भारत দিঠিযা सच्ताट को सिफ राष्ट्रमंडल की एकता का प्रतीक मानता है। इसके अलावा, राष्ट्रमंडल की सदस्यता भारत की इच्छा पर निर्मर करती है और भारत जब चाहे, इससे अलग हो समना है। श्रीनेहरू ने इस सम्बन्ध में उठाये गये विवादों और संशयों क्रो दूर करने के लिए ठीक ही तो कदा था कि “मडल किसी भी दातत मे राष्ट घे बव्कर्‌ राज्य नही है । हमने तो स्तत्र रर शी से से बनाये सम्प क मौपनरिकपरथान क रप, भं तरिदिश सपार्‌ या सम्नानी करो स्वीकार श्रिया है #१ लोकन॑च्रात्मक गणराज्य' का बर्थ हुआ कि भारतीय शामन-व्यवस्था भारतवासियों की 5च्छाओ और आकात्ाओ के ही अनुसार संचालित होगी। साथ ही उस शासन-व्यवस्था का अधान कोई बंशकमानुगत राजा या रानी नहीं, बरन्‌ देशवासियों टार नि्बाचिन उचिन योग्यता रखनेवाला कोई सी नागरिक हो सकता हूँ । (४) घर्म-निरपेत्ष राज्य ( 8७८पा० 5६०० ) --इस सविधान क अनुसार भरत मे एक धर्म-निरपेज्ञ राज्य दी स्थापना दी ग्ड हे ! धर्म-निरपेक्ञ राज्य का अर्थ ইন্টি राज्य के लिए सभी धर्म समान हैं और राज्य की बर से किती सविशेष धर्म को बढावा नहीं दिया जायगा । दूसरे शब्दों मे, जिस प्रकार बशोक ने वोहपर्म को राज्य-धर् (580 সপ १, 480 ছি 85 00৩00500৮০7 ০1 [তা 5 00780077760, 05 ष्ठ 085 70 च्ल शाप्त আত 98211 ৩৭৩ 70 81050670 # कपर এ 608




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now