गढ़वाली लोककला और लोकसाहित्य का तुलनात्मक अनुशीलन | Gadhawali Lok Kala Aur Lok Shahity Ka Tulanatmak Anusheelan

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Gadhawali Lok Kala Aur Lok Shahity Ka Tulanatmak Anusheelan by शांति चौधरी - Shanti Chaudhary

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about शांति चौधरी - Shanti Chaudhary

Add Infomation AboutShanti Chaudhary

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
अंग्रेज गढ़वाल को गोरखाओं से मुक्त करने में सफल हुए। इसके फलस्वरूप गढ़वाल का बटवारा हो गया। टिहरी में पंवार वंश का राज्य पूव॑वत्‌ चलता रहा लेकिन अलकनन्दा के उस पार का हिस्सा अंग्रेजों को पुरस्कार के रूप में मिल गया जिसे उस समय ब्रिटिश गढ़वाल कहा जाता था। तीसरी बड़ी घटना में टिहरी राज्य शाही से टिहरी की जनता को मुक्ति मिली। इस तरह टिहरी राज्य का सन्‌ 1948 में उत्तर प्रदेश के एक जिले के रूप में विलीनीकरण हुआ। लोग और विभिन्‍न जातियाँ केदारखण्ड के ऐतिहासिक राजवंश के पूर्व हम देख चुके हैं कि इस क्षेत्र में यक्ष, मगंधव, नाग, कोल, किरात तथा खस जति ओर आर्यं जति, विविध संस्कृतिर्यो का समागम हुआ। यक्ष, गंधव, कोल-किरात के वंशज आजं यहां की मूल निवासी जतियां हैं। खस एक महाजति के रूप में इस क्षेत्र पर छायी है। खरौ भँ आयो की भति राजपूत ओर ब्राहमणं जति के लोग थे। सामान्यतः ये जातियां मानी जाती हैं, लेकिन वास्तविक स्थिति ऐसी नहीं है। ये उल्लिखित विविध संस्कृति ओर सांस्कृतिक परम्परायें हैं, जिन्होंने केदारखण्ड के इस क्षेत्र को प्रभावित किया था। एक के बाद दूसरी संस्कृति के लोगों ने एक दूसरे से कुछ लिया तो कुछ दिया भी। यही क्रम यक्ष, गंधव, नाग, कोल-किरात ओर खस तथा आयी संस्कृति के लोगों के साथ चलता रहा। इस लम्बे सांस्कृतिक आदान-प्रदान का प्रतिफल यह हुआ कि विविध प्रकार की संस्कृतियों का मिला-जुला रूप सनातन संस्कृति के साथ चलता रहा जो वर्णित महाजातियोँ विशेष रूप से किरात ओर खस संस्कृतियों की महानतम देन ই। आर्यं संस्कृति के लोग इस संस्कृति, जीवन दर्शन और आचार-विचार से कम प्रभावित है, तो भी प्रभावशाली खसं महाजति के नाम पर [जिसने किरात ओर किराता के पूरव फली संस्कृतिर्यो को आत्मसात कर, एक मिली-जुली संस्कृति को जन्म হ্যা] खस संस्कृति प्रचलित हे। संदर्भित विश्लेषण का निष्कर्ष यह है कि हिमालय के इस केदारखण्ड में मतमतान्तरों का ऐतिहासिक विश्लेषण निम्नवत्‌ है :-. ।- केदारखण्ड की आदिम जातियों की संस्कृति जो यक्ष, गंधवे, नाग तथा कोल-किरातों के वंशज है। 2- खस संस्कृति जो किरातों और किरातों से पूव फैली संस्कृतियों से पूर्ण प्रभावित खस जति या खस संस्कृति




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now