हिंदी गद्य - शैली का विकास | Hindi Gadhya Shaily Ka Vikas

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : हिंदी गद्य - शैली का विकास  - Hindi Gadhya Shaily Ka Vikas

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about जगन्नाथ प्रसाद शर्मा - Jagannath Prasad Sharma

Add Infomation AboutJagannath Prasad Sharma

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
€ १४ करनेवाले महानुभावों के अनुमोदन द्वारा कु काल में ही हो सकेगा । पर इतना कए जा सकता है कि बहुतसती सलद्य विशेषदाओं की ओर ध्यान आकर्षित करके लेखक ने और खुच्तम अनुसंधान की आवश्यकता प्रकट कर दी है । हिंदी के वर्तमान लेखकों में से कुछ में तो शैली की विशि- छता, उनकी निज की भव-पद्धति श्र विचार-पद्धति के अनु: रूप अभिव्यंजना के स्वाभाविक विकास द्वाथ आई है और कुछ में बाहर के अनुऋरण द्वारा | विशिष्ठता की उत्पत्ति के ये दोनों विधान भाषा में साथ साथ चलते हैं और आवश्यक हैं | पर ओली की विशिष्टता के विन्यास के पूवं भाषा की सामान्य योभ्यता श्रपेक्तित होती हे । স্সাক हिंदी लिखनेवालों की संख्या सौभाग्य से उत्तरोत्तर बढ रही है | पर यह देखकर दुःख होता है कि इनमे से बहुत पहले दी विशिष्टता के प्रार्थी दिखाई पडते है । ओेली कोर हो, वाक्य-रचना की व्यवस्था, माषा को शुद्धता और प्रयोगों की समीचीनता सर्वत्र आवश्यक है । जव तक ये बातें न सथ जायें तब तक लिखने का अधिकार ही न समस्ना चाहिए | इनके बिना भाषा लिखने-पढ़ने की भाषा হী नहीं है जिसकी शैली आदि का विचार होता है। न अज्ञता या कचाई कोई विशिष्टता कदी जा सकती है, न दोष या अशुद्धि कोई नवीन शैली । अपनी बुद्धि की निष्कियता ओर भाषा की कचाई के बीच केवत देशी-विदेशी समीक्षाश्रों की शैली के अनु- करण द्वारा विशिष्टता-प्रदर्शन का प्रयत्ष कूठी नकल या धोखे- बाजी ही कहा जायगा | पर आजकल कोई पत्रिका उठाइप, उसमें कहीं न कहीं “कवि-स्वप्त' आदि की बाते बड़े करामाती ढंग से, बढ़ी गंभीर मुद्रा के साथ, ऐसे पेसे वाक्यों में कही हुईं मिल्लेंगी- “बे अपने दिभाग के अंदर घुखते ही स्वप्न को अपने आलोक में अपना शोकः २ सपना सत न विर र भते जुति त बिखेरने देकर अपने जादू से उसे तुरंत बेहोश कर दिप है ,” जब से ध्रीयुत पंडित मद्ावीरप्रखाद द्विवेदी ने 'खरस्वती'से अपना हाथ स्मींच। तब से मैदान में नर नए उतरनेवाले लेखकों




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now